अमेरिका से भारत को जल्‍द मिलेंगे 30 प्रीडेटर ड्रोन

वॉशिगंटन: अमेरिका द्वारा भारत को 30 प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन बेचने पर बातचीत अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. इस सौदे की अनुमानित लागत तीन अरब डॉलर है. 

  • कई सूत्रों ने यह पुष्टि की है. ऐसा पहली बार हो रहा है जब अमेरिका (America) किसी गैर नाटो सहयोगी देश को ये ड्रोन (Drone) बेच रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की 2017 में अमेरिका की यात्रा के दौरान पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत इस प्रमुख रक्षा सौदे (Defence Deal) की घोषणा की गयी थी.
  • इसके बाद दोनों देशों ने इस पर बातचीत तेज कर दी और भारत को बेचे जाने वाले ऐसे ड्रोन की संख्या 10 से बढ़ाकर 30 कर दी. इनमें से प्रत्येक 10 ड्रोन नौसेना, वायु सेना और थल सेना को दिए जाएंगे. सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत और अमेरिका (India-US) सरकार के बीच 30 विमानों के प्रीडेटर/एमक्यू9बी खरीद कार्यक्रम पर बातचीत अंतिम चरण में है. सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह प्रमुख रक्षा साझेदार का दर्जा बनाए रखने की क्षमता है जिस पर विभिन्न मूलभूत समझौतों और एमटीसीआर में भारत के शामिल होने के जरिए कई वर्षों से काम किया गया है.
  • भारत इस क्षमता को हासिल करने वाला पहला गैर-नाटो साझेदार देश का तमगा हासिल करेगा. रक्षा उद्योग में इन आधुनिक ड्रोन (Drone) का कोई सानी नहीं है. इनका निर्माण जनरल एटॉमिक्स करेगा. साल 2017 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की व्हाइट हाउस (White House) की यात्रा के दौरान पिछले ट्रम्प प्रशासन दौरान इस प्रमुख रक्षा सौदे की घोषणा की गई थी. इसके बाद, दोनों देशों ने चर्चा तेज कर दी है और भारत को बेचे जाने वाले ऐसे ड्रोनों की संख्या बढ़ा दी है.
  • इन अत्याधुनिक ड्रोन, का वर्तमान में रक्षा उद्योग में कोई मुकाबला नहीं है. सूत्रों ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भारत द्वारा सौदे को ठंडे बस्ते में डालने की कोई जानकारी होने से इनकार किया. सूत्रों ने कहा कि ये ड्रोन चीन और पाकिस्तान के साथ भारत की समुद्री और भूमि सीमाओं की टोह लेने के लिए एक मूल्यवान निगरानी संपत्ति के रूप में उभरे हैं. भारत के रक्षा मंत्रालय के रक्षा खरीद बोर्ड ने इस पर बैठक की थी और पिछले साल के अंत में इसे मंजूरी दे दी थी.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here