भारतीय विदेश मंत्रालय ने यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचने का आग्रह किया

नयी दिल्ली। अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन और ताइवान के बीच तनाव पैदा हो गया। चीन ने नैंसी पेलोसी के दौरे पर कड़ी नाराजगी जताते हुए ताइवान पर दबाव बनाने के उद्देश्य से सैन्य अभ्यास किया। जिसके बाद ताइवान का भी सैन्य अभ्यास चल रहा है। इसके साथ ही चीन की इस घेराबंदी को देखते हुए ताइवान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद का आह्वान किया गया। हालांकि भारत पूरे मामने पर अपनी नजर बनाए हुए है।

क्या है भारत का पक्ष ?

भारतीय विदेश मंत्रालय ने यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचने का आग्रह किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ताइवान में मौजूदा परिस्थितियों को लेकर कहा कि कई अन्य देशों की तरह भारत भी हाल के घटनाक्रमों से चिंतित है, हम संयम बरतने, स्टेटस को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचने, तनाव कम करने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों का अनुरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की प्रासंगिक नीतियां सर्वविदित और सुसंगत हैं। उन्हें पुनरावृत्ति की आवश्यकता नहीं है।

चीन ने ताइवान को फिर दी धमकी

चीन ने ताइवान द्वीप के निकट करीब एक सप्ताह तक चले सैन्य अभ्यास के उपरांत एक बार फिर ताइवान पर हमले की धमकी दी। इस बीच, ताइवान ने स्वशासी लोकतंत्र के बारे में चीन के दावों को ख्याली पुलाव करार देते हुए खुद भी सैन्य अभ्यास शुरू कर दिए हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक दैनिक ब्रीफिंग में कहा कि स्वतंत्रता के लिए बाहरी ताकतों के साथ मिलीभगत और उकसावे में आने से ताइवान केवल अपनी तबाही को न्यौता देगा और उसे शह देने वालों का भी जल्द खात्मा हो जाएगा।

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