मोरबी ब्रिज हादसा: ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल को न्यायिक हिरासत में भेजा गया

गुजरात के मोरबी शहर में एक झूला पुल गिरने के मामले में ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल को झटका लगा है। इस मामले में यहां की एक अदालत ने पटेल को बुधवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मोरबी के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एम जे खान ने एक फरवरी को पटेल को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। यह अवधि समाप्त होने के बाद बुधवार को अदालत ने यह कदम उठाया है।  

न्यायिक हिरासत में भेजे गए जयसुख पटेल  
पुलिस रिमांड पूरा होने के बाद बुधवार को जयसुख पटेल को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। इस मामले की जांच करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने उनकी आगे की रिमांड नहीं मांगी। ऐसे में मजिस्ट्रेट खान ने जयसुख पटेल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल ने अपनी गिरफ्तारी से पहले एक फरवरी को यहां एक अदालत में आत्मसमर्पण किया था। मोरबी पुलिस ने पिछले हफ्ते इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें पटेल समेत अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। अन्य नौ गिरफ्तार व्यक्तियों में फर्म के दो प्रबंधक, दो टिकट बुकिंग क्लर्क, तीन सुरक्षा गार्ड और दो उप-ठेकेदार शामिल हैं, जो ओरेवा समूह द्वारा मरम्मत कार्य के लिए लगाए गए थे। दो उप-ठेकेदारों – प्रकाश परमार और देवांग प्रकाश परमार ने सोमवार को राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। गुरुवार को कोर्ट उनकी याचिका पर सुनवाई कर सकती है।  

इन धाराओं में दर्ज हुआ है मामला 
ओरेवा ग्रुप के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल सहित सभी 10 आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 336 (मानव जीवन को खतरे में डालना), 337 (किसी को चोट पहुंचाना),और 338 (उतावलेपन या लापरवाही से कार्य करके गंभीर चोट पहुँचाना) के तहत आरोप लगाए गए हैं। 

एसआईटी ने पाई थी कई खामियां
मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल में बना सस्पेंशन ब्रिज पिछले साल 30 अक्टूबर को ढह गया था। अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) इसके संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार था। मामले की जांच कर रही एसआईटी ने पुल की मरम्मत, रखरखाव और संचालन में कई खामियां पाई थीं।

एसआईटी के अनुसार, खामियों में पुल तक पहुंचने वाले व्यक्तियों की संख्या पर प्रतिबंध का अभाव और टिकटों की बिक्री पर कोई अंकुश नहीं था, जिसके कारण संरचना पर अप्रतिबंधित आवाजाही हुई। इसके साथ ही विशेषज्ञों से परामर्श किए बिना ही पुल की मरम्मत की गई। जांच से पता चला था कि फर्म द्वारा इस्तेमाल किए गए नए धातु के फर्श ने संरचना का वजन बढ़ा दिया था और यह जंग लगी केबलों को बदलने में विफल रही थी, जिस पर पूरा पुल लटका हुआ था।

एसआईटी ने कहा कि इसके अलावा, पटेल की फर्म द्वारा काम पर रखे गए ठेकेदार इस तरह की मरम्मत और नवीनीकरण कार्य करने के लिए योग्य नहीं थे। जांच रिपोर्ट से यह भी पता चला कि ओरेवा ग्रुप ने मरम्मत और नवीनीकरण कार्य के बाद इसे जनता के लिए खोलने से पहले कैरेजवे की भार वहन क्षमता का आकलन करने के लिए किसी विशेषज्ञ एजेंसी को नियुक्त नहीं किया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here