भारतीय वायुसेना ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के बापटला में राष्ट्रीय राजमार्ग 16 पर नवनिर्मित 4.1 किलोमीटर की आपात लैंडिंग सुविधा (ईएलएफ) का सफल परीक्षण किया। वायुसेना के लड़ाकू और परिवहन विमानों ने ट्रायल अभ्यास में भाग लिया। सुखोई और तेजस एलसीए लड़ाकू विमानों ने ट्रायल में भाग लिया और 100 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए हाईवे को छुआ और फिर उड़ गए।
वायुसेना के लिए इस आपात लैंडिंग सुविधा का निर्माण एनएच-16 पर पिचिकालगुडिपाडु (Picchikalagudipadu) के पास में किया गया है। ट्रायल अभ्यास के दौरान 45 मिनट के अंतराल में चार विमान हाईवे को छूकर गुजरे।
वायुसेना की दक्षिणी वायु कमान ने ट्वीट किया कि भारतीय वायुसेना के लड़ाकू और परिवहन विमानों ने 29 दिसंबर को आंध्र प्रदेश के बापटला जिले में एनएच-16 पर नवनिर्मित आपात लैंडिंग सुविधा पर सर्किट, अप्रोच और ओवरशूट सहित उड़ान का अभ्यास किया। वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि एक परिवहन विमान AN-32, दो सुखोई लड़ाकू विमान और कई तेजस हल्के लड़ाकू विमानों ने परीक्षण में भाग लिया।
अभ्यास के लिए की गई व्यापक सुरक्षा व्यवस्था
वहीं, भारतीय वायुसेना के ट्रायल अभ्यास को देखते हुए बापतला जिला प्रशासन की तरफ से व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। हाईवे पर विमानों के अभ्यास को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। वहीं, हाईवे पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई थी। अलग-अलग प्वाइंट से ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया था।
युद्ध के समय उपयोगी होगी हवाई पट्टी
हवाई पट्टी का इस्तेमाल रणनीतिक उद्देश्यों के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव और राहत कार्यों के लिए भी किया जा सकता है। अधिकारियों ने कहा कि आपात स्थिति में लड़ाकू विमानों की सुरक्षित लैंडिंग के लिए एनएच-16 पर 4.1 किलोमीटर लंबी और 60 मीटर चौड़ी आपात लैंडिंग सुविधा बनाई गई है। उनका कहना है कि यह सुविधा युद्ध और अन्य आपात स्थितियों के समय उपयोगी होगी, क्योंकि हाईवे पर रनवे की तरह पट्टी को आधे घंटे में तैयार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसी तरह की सुविधा प्रकाशम जिले में भी हाईवे पर बनाई जएगी।
जर्मन तकनीक से किया गया निर्माण
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने जर्मन तकनीक का इस्तेमाल करके भारी वजन और उच्च दबाव का सामना करने के लिए 86 करोड़ रुपये की लागत से इस हवाई पट्टी का निर्माण किया। यह दक्षिण भारत में पहला इमरजेंसी लैंडिंग रनवे (ईएलआर) है। इससे पहले उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हाईवे पर इमरजेंसी लैंडिंग रनवे बनाया जा चुका है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2018 में देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 19 हवाई पट्टियों को विकसित करने का फैसला लिया था।