उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Vice President M Venkaiah Naidu) ने बुधवार को सरकार और विपक्ष से कहा कि उन्हें विकास के मुद्दे पर साथ मिलकर काम करना चाहिए. उन्हें एक-दूसरे के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए. अगरतला में एक कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में नायडू ने राजनीतिक दलों से एक-दूसरे का सम्मान करने की अपील की.
पूर्वोत्तर में विकास के बारे में नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार इस विशेष ध्यान दे रहा है और इसलिए यहां के फंड को डबल कर दिया गया है. अगर पूर्वोत्तर की एक दशक पहले से तुलना की जाए तो आज यहां काफी विकास हुआ है. उन्होंने कहा, ‘उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास के बिना भारत का विकास अधूरा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां पर विकास की शुरुआत करने वाले हैं और त्रिपुरा में यह दिखाई भी दे रहा है.
‘पूर्वोत्तर के विकास पर केंद्र सरकार का ध्यान’
वेंकैया नायडू ने कहा, ‘भारत सरकार ने पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है और त्रिपुरा को इसका हिस्सा मिला है. राज्य ने सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी विकास किया है.’ नायडू ने कहा कि त्रिपुरा में महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डे को एक इंटरनेशन एयरपोर्ट के तौर पर विकसित किया जाएगा. वहीं, उनाकोटि जिले में कैलासहर हवाई अड्डे को पुनर्जीवित करने और हेलीकॉप्टर सेवा के लिए नए रास्ते तलाशने के लिए पहल की जा रही है.
नायडू ने नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए अभियान का आह्वान किया
अभी कुछ दिन पहले ही उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने देश की नदियों को पुनर्जीवित करने की जरूरत पर एक प्रभावशाली राष्ट्रीय अभियान चलाने का आह्वान करते हुए कहा कि इसे तात्कालिकता की भावना के साथ किया जाना चाहिए. नायडू ने कहा कि भारत में नदियां जीवनदायिनी शक्ति के लिए हमेशा से पूजनीय रही हैं. उन्होंने कहा कि बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण ने देश के विभिन्न हिस्सों में नदियों और अन्य जलाशयों को दूषित किया है.
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘अतीत में, हमारे गांव और शहर कई जलाशयों से युक्त हुआ करते थे. आधुनिकीकरण की चाह में मनुष्य ने लालच से प्रेरित होकर प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को कई जगहों पर नष्ट कर दिया है, जिससे जलाशय गायब हो गए हैं या उनपर अतिक्रमण कर लिया गया है.’ नायडू अपनी पूर्वोत्तर की यात्रा के तहत रविवार को यहां पहुंचे. उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे विरासत एवं सांस्कृतिक केंद्र का उद्धाटन करके की.
उपराष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, वह केंद्र के संग्रहालय भी गए और उन्होंने कॉफी टेबल पुस्तक ‘फॉरएवर गुवाहाटी’ का विमोचन भी किया. बाद में एक फेसबुक पोस्ट में नायडू ने असम और ब्रह्मपुत्र नदी की यात्रा के अपने अनुभव को अविस्मरणीय बताया. उन्होंने लिखा कि वह ब्रह्मपुत्र की प्राकृतिक सुंदरता से चकित हैं. इसका नज़ारा उन्होंने नदी के किनारे स्थित पार्क से देखा है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि लाखों लोगों को आजीविका देने वाली महान नदी इस क्षेत्र की संस्कृति और इतिहास का एक अभिन्न अंग है.
नदियों के महत्व और उनके कायाकल्प को रेखांकित करते हुए नायडू ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को जल संरक्षण के महत्व पर स्कूल पाठ्यक्रम में अध्याय शामिल करने चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों को छात्रों के लिए प्रकृति शिविर आयोजित करने चाहिए ताकि बच्चे, खासकर शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे, प्रकृति की भव्यता को देख सकें. यात्रा के दौरान, नायडू ने केंद्र के कई हिस्सों जैसे कला दीर्घा, केंद्रीय कक्ष और ‘माजुली कॉर्नर’ को भी देखा. उन्होंने इस बात की भी सराहना की कि विरासत परिसर में सिर्फ पैदल ही आया जा सकता है और इसमें गाड़ियों का लाना वर्जित है ताकि स्थान की शांति बनाई रखी जा सके.