‘भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र’ (डब्ल्यूएमसीसी) की 26वीं बैठक बुधवार को बीजिंग में आयोजित की गई। जुलाई 2019 के बाद दोनों देशों के बीच इसकी यह पहली व्यक्तिगत बैठक थी। बैठख में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) ने किया, जबकि चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा और समुद्री मामलों के विभाग के महानिदेशक ने किया।
दोनों पक्षों ने एलएसी पर स्थिति की समीक्षा की
बैठक में दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति की समीक्षा की और शेष इलाकों से पीछे हटने के प्रस्तावों पर चर्चा की। पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर शांति बहाल करने और द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए स्थितियां बनाने के उद्देश्य से खुली और रचनात्मक तरीके से चर्चा की गई।
वरिष्ठ कमांडरों की 18वें दौर की बैठक करने पर सहमति
मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार, दोनों पक्ष जल्द से जल्द वरिष्ठ कमांडरों की 18वें दौर की बैठक आयोजित करने पर सहमत हुए। वे अपने उद्देश्य को हासिल करने के लिए सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से चर्चा जारी रखने पर भी सहमत हुए।
2012 में की गई थी डब्ल्यूएमसीसी की स्थापना
डब्ल्यूएमसीसी की स्थापना 2012 में की गई थी। इसका उद्देश्य सीमा मामलों पर भारत और चीन के बीच परामर्श और समन्वय के लिए एक मंच प्रदान करना है। 26वीं बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि यह ऐसे समय में हुई है जब दोनों देशों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद से तनाव जारी है।
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में क्या कहा?
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, दोनों पक्षों ने बीजिंग में भारत-चीन सीमा मामलों पर डब्ल्यूएमसीसी की व्यक्तिगत बैठक में प्रस्तावों पर चर्चा की। दोनों पक्षों ने एलएसी पर स्थिति की समीक्षा की और शेष क्षेत्रों में खुले और रचनात्मक तरीके से पीछे हटने के प्रस्तावों पर चर्चा की, जिससे पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर शांति बहाल करने में मदद मिलेगी और द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए स्थितियां पैदा होंगी।