सनातन वैदिक धर्म ने सुप्रीम कोर्ट में दी सच्चर समिति की वैधता को चुनौती

मुस्लिम समुदाय के लिए कल्याणकारी योजनाओं की सिफारिश करने वाली सच्चर समिति की रिपोर्ट को लागू करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इसमें कहा गया है कि मुसलमानों को विशेष वर्ग नहीं माना जा सकता. सनातन वैदिक धर्म के अनुयायी कहे जाने वाले याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे मुसलमानों की सामाजिक स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति राजेंद्र सच्चर (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा 2005 में अधिसूचना के खिलाफ हैं. मुस्लिम समुदाय की आर्थिक और शैक्षिक स्थिति जानने के बहाने कानून के शासन को किसी भी धर्म या धार्मिक समूह के प्रति झुकाव नहीं रखना चाहिए.

याचिका में तर्क दिया गया है कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थितियों की जांच के लिए आयोग नियुक्त करने की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत राष्ट्रपति के पास है. यह उल्लेख करना प्रासंगिक है कि पूरे मुस्लिम समुदाय की पहचान सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में नहीं की गई है और इसलिए, मुसलमानों को, एक धार्मिक समुदाय के रूप में, पिछड़े वर्गों के लिए उपलब्ध लाभों के हकदार विशेष वर्ग नहीं माना जा सकता.

इसमें कहा गया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति किसी भी अन्य समुदाय की तुलना में बदतर है, और सरकार उनकी बेहतरी के लिए उचित कदम उठाने में विफल रही है.

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि मुस्लिम समुदाय किसी विशेष व्यवहार का हकदार नहीं है, क्योंकि वे कई वर्षो तक शासक रहे हैं और यहां तक कि ब्रिटिश शासन के दौरान भी उन्होंने सत्ता का आनंद लिया और साझा किया.

याचिका में यह भी कहा गया है कि भारत में मुस्लिम शासन काल सबसे लंबे समय तक रहा. इसके बाद ब्रिटिश शासन था, जिसके दौरान कई हिंदुओं को मुस्लिम या ईसाई धर्म अपनाना पड़ा.

याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार को 17 नवंबर, 2006 को सौंपी गई सच्चर समिति की रिपोर्ट पर भरोसा न करने और उसे लागू करने से रोकने का निर्देश दिया जाए.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here