राजनीतिक पार्टियों और सरकारों के तमाम दावों के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं और पिछले साल देश में हर रोज औसतन 87 महिलाओं का रेप हुआ. यही नहीं महिलाओं के खिलाफ अन्य तरह के अपराधों में भी वृद्धि आई है और महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कुल 7.3 फीसदी का इजाफा हुआ है. प्रति एक लाख महिलाओं पर अपराध की दर भी पहले के मुकाबले बढ़ गई है.
मंगलवार को जारी की गई राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ‘भारत में अपराध- 2019’ रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए है. रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में देशभर में रेप के 32,033 मामले दर्ज किए गए. ये आंकड़ा 2017 और 2018 के मुकाबले थोड़ा कम है, लेकिन इस दर से भी देश में रोजाना 87 महिलाओं हैवानियत का शिकार हो रही हैं. 2018 में रेप के 33,356 मामले और 2017 में 32,559 मामले सामने आए थे.
महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बात करें तो NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में देश में महिलाओं के खिलाफ कुल 4,05,861 अपराध हुए जो 2018 के मुकाबले 7.3 फीसदी ज्यादा है. इनमें सबसे ज्यादा 30.9 फीसदी मामले पति या संबंधियों द्वारा अत्याचार के थे, वहीं रेप करने के इरादे से हमला करने के मामलों की हिस्सेदारी 21.8 फीसदी रही. 17.9 फीसदी मामले अपहरण के और 7.9 फीसदी मामले रेप के थे.
इसके अलावा प्रति एक लाख महिलाओं पर अपराध की दर में भी वृद्धि हुई है. 2018 में यहां हर एक लाख में से 58.8 महिलाएं किसी न किसी तरह के अपराध का शिकार हुईं, वहीं 2019 में ये आंकड़ा बढ़कर 62.4 हो गया.
राज्यों और शहरों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा 59,853 अपराध हुए जो पूरे देश में हुए ऐसे अपराधों का 14.7 फीसदी हैं. उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान (41,550) और महाराष्ट्र (37,144) में महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध हुए. प्रति एक लाख महिलाओं पर अपराध के मामले में असम (177.8) सबसे आगे रहा. वहीं शहरों में ऐसे 12,902 अपराधों के साथ दिल्ली सबसे आगे रही. 6,519 मामलों के साथ मुंबई स्थान पर रही.
NCRB के ये आंकड़े ऐसे समय पर आए हैं जब उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक 19 वर्षीय दलित युवती के साथ गैंगरेप की घटना पर राजनीति में उबाल आया हुआ है.