देशभर के बड़े शहरों में स्थित चीनी मोबाइल कंपनियों की तलाशी जारी

देशभर में मौजूद चीनी मोबाइल कंपनियों के दफ्तरों में बुधवार सुबह से छापेमारी चल रही है. सुबह 9 बजे से दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, मुंबई, हैदराबाद, बंगलौर सहित कई शहरों में तलाशी हो रही है. इससे पहले मंगलवार को खबर आई थी कि नेपाल ने भी कई चीन की कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है.

मोबाइल कंपनी ओप्पो ग्रुप और Xiaomi के खिलाफ इनकम टैक्स विभाग की बड़ी कार्रवाई हुई है. इनकम टैक्स विभाग के द्वारा ओप्पो ग्रुप से जुड़े कई वरिष्ठ अधिकारियों, निदेशकों , CFO सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ  छापेमारी रही है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में स्मार्टफोन बाजार करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये का है. इसमें 70 फीसदी हिस्सेदारी चीनी की कंपनियों के प्रोडक्ट का है.

वहीं, भारत में टेलीविजन का मार्केट करीब 30,000 करोड़ रुपये का है. इसमें चीन की कंपनियों की स्मार्ट टीवी की हिस्सेदारी करीब 45 फीसदी है. नॉन स्मार्ट टीवी की हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी है.

चीन की मोबाइल कंपनियों पर छापेमारी

सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली -एनसीआर के गुरुग्राम, रेवाड़ी में ये छापेमारी हो रही है. दिल्ली यूनिट और बेंगलुरू यूनिट द्वारा  छापेमारी की जा रही है.

भारत में कितनी चीन कंपनियां करती है कारोबार?

केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि देश में फिलहाल 80 चीनी कंपनियां सक्रिय रूप से कारोबार कर रही हैं.  भारत में 92 चीनी कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से 80 कंपनियां हैं जो ‘सक्रिय’ रूप से कारोबार करती हैं.

नेपाल और अमेरिका में भी हुई चीन की कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई

नेपाल के एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रॉजेक्‍ट (Nepal Airport Development Project) में हिस्‍सा लेने पर भी रोक लगा दी गई है.

चीन समर्थित अलग-अलग तीन कंपनियों- चीन सीएमसी इंजीनियरिंग कंपनी, नॉर्थवेस्ट सिविल एविएशन एयरपोर्ट कंस्ट्रक्शन ग्रुप और चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी को विभिन्न अपराधों में संलिप्त पाए जाने के बाद ब्लैकलिस्ट कर दिया है.

इसके अलावा अमेरिका नवंबर में चीन की करीब 13 कंपनियों पर प्रतिबंध लगा चुका है. इन कंपनियों को अमेरिकी कारोबार करने से पूरी तरह रोक दिया गया है. इन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है.

अमेरिका की ओर से जारी बयान में बताया गया था कि ये कंपनियां चीनी सेना को उनके मिलिट्री एप्लिकेशन में मदद करने के लिए अमेरिकी ऑरिजिन की वस्तुओं को हासिल करने की कोशिश कर रही थी.

आपको बता दें कि चीनी कंपनियों पर पहले भी चीन की सेना की मदद करने का आरोप लग चुका है. कुछ कंपनियों पर पूर्व चीन की सेना के लिए जासूसी करने के भी आरोप भी लगे हैं.

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