सशस्त्र बलों में व्यभिचार कानून से जुड़े मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

व्यभिचार कानून से जुड़ा मामला एक बार फिर देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 497 के तहत व्यभिचार को कम करने के लिए 2018 के शीर्ष अदालत के फैसले को सशस्त्र बलों पर लागू नहीं किया जाना चाहिए।

जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस के. एम. जोसेफ के साथ ही जस्टिस आर.एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने बुधवार को केंद्र सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है। साथ ही इसकी सुनवाई पांच जजों की संविधान पीठ में कराने के लिए मामले को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबडे के पास भेजा है।

सुप्रीम कोर्ट ने तब उल्लेख किया था कि यह केवल तलाक के लिए एक आधार हो सकता है। न्यूज एजेंसी IANS के मुताबिक दरअसल, केंद्र सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा व्यभिचार पर दिए गए फैसले को सशस्त्र बलों पर लागू नहीं किया जाना चाहिए, जहां एक कर्मचारी को सहकर्मी की पत्नी के साथ व्यभिचार करने के लिए असहनीय आचरण के आधार पर सेवा से निकाला जा सकता है।

याचिकाकर्ता रक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अधिकारियों के जीवनसाथी के साथ व्यभिचार करने के कारण सशस्त्र बल के जवानों को सेवा से बाहर किया जा सकता है। बता दें कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने व्यभिचार कानून को खत्म कर दिया था। तब आदेश में कहा गया था कि ये अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा, लेकिन किसी तलाक का आधार बन सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here