करोना काल में तब्लीग़ी जमात के मीडिया कवरेज पर केन्द्र सरकार ने हलफनामा दाखिल किया है. लेकिन केंद्र सरकार के हलफनामे से सुप्रीम कोर्ट नाराज़ है. लगातार दूसरी बार कोर्ट ने इस तरह की नाराज़ी जताई है. साथ ही हिदायत देते हुए कहा है कि सरकार बेहतर हलफनामा दाखिल करे. आज हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दाखिल किया उसमे बताया गया है कि मीडिया ने तब्लीग़ी जमात की भूमिका पर निष्पक्ष तरीके से रिपोर्टिंग की है. जबकि जमीअत उलेमा ए हिंदी की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया है कि मीडिया द्वारा तब्लीग़ी जमात को करोना फैलने का जिम्मेदार बताया गया और एक विलेन के तौर पर पेश किया गया.
केन्द्र सरकार को यह बताना है कोर्ट में
केन्द्र सरकार को करोना काल में तब्लीग़ी जमात से जुड़ी मीडिया कवरेज पर ये बताना है की मीडिया के खिलाफ सरकार को जो शिकायतें मिलीं उस पर क्या कार्रवाई हुई. सरकार के पास कार्रवाई करने का अधिकार है, लेकिन हुआ क्या ये कोर्ट को बताएं. अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बेहतर हलफनामा दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है.
तब्लीग़ी जमात पर यह टिप्पणी भी कर चुकी है एससी
एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वीजा नियमों के उल्लंघन के आरोपी तब्लीग़ी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ दायर मुकदमों की सुनवाई में तेजी लाएं. न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने तब्लीग़ी जमात के 13 विदेशी सदस्यों को निजामुद्दीन में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए काली सूची में डालने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर आगे की सुनवाई के लिए 20 नवंबर की तारीख तय की और निचली अदालत से इनके मामलों की सुनवाई तेजी से करने को कहा.
तब्लीग़ी जमात पर रिर्पोटिंग के बारे में यह कहा था एससी ने
सुप्रीम कोर्ट ने तब्लीगी जमात से जुड़े मामले में की गई रिपोर्टिंग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि हाल के दिनों में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सबसे अधिक दुरुपयोग हुआ है. जमीयत उलमा ए हिंद और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरोप लगाया था कि मीडिया का एक वर्ग COVID-19 महामारी की शुरुआत के दौरान तब्लीगी जमात की मंडली पर सांप्रदायिक नफरत फैला रहा था.