सीबीएसई के प्रश्न पत्रों की गलतियों को रोकने के लिए टीम गठित

दसवीं और बारहवीं के पेपरों में बार बार आ रही गलतियों को देखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) सतर्क हो गया है। बोर्ड ने भविष्य में ऐसी गलती नहीं हो इसके लिए एक समिति का गठन किया है। ये समिति प्रश्न पत्र तैयार करने की प्रक्रिया की गहन समीक्षा और उसमें सुधार करने के लिए बनाई गई है। बोर्ड ने यह फैसला 10वीं और 12वीं की पहले टर्म की परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों में बार बार मिल रही गलतियों को देखते हुए लिया है। सीबीएसई के प्रश्न पत्रों में इस माह कम से कम तीन गलतियां सामने आई हैं, जिनमें से महिलाओं को लेकर विवादास्पद संदर्भ से जुड़ी थी और इस पर सोमवार को संसद में काफी हंगामा भी हुआ था।

दरअसल, शनिवार को कक्षा दसवीं के अंग्रेजी के प्रश्न पत्र में महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया और अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है। जैसे वाक्यों का इस्तेमाल किया गया था, जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया। इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी सीबीएसई और सरकार की जमकर आलोचना हुई थी। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, सोनिया गांधी और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने  प्रश्न पत्र में इस तरह के सवाल को लेकर सरकार को घेरा था। 

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस मुद्दे को संसद में उठाया था। बढ़ते हंगामे के बाद बोर्ड ने विवादित पैसेज को प्रश्न पत्र से हटा दिया था। इसके बदले में छात्रों को पूरे अंक देने को कहा था। इससे पहले 12वीं कक्षा के सोशियोलॉजी के पेपर में 2002 के गुजरात दंगों से जुड़ा प्रश्न पूछा गया था। जिस पर बहुत विवाद हुआ था। इसके बाद भी बोर्ड को अपना स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा था।  

इस साल के प्रश्नपत्रों में आ रही गलतियों को लेकर शिक्षकों और शिक्षा विशेषज्ञों ने बोर्ड के मूल्यांकन के नए प्रारूप पर चिंता जताई है, साथ ही प्रश्न पत्र सेट करने वालों की ट्रेनिंग पर भी सवाल उठाए हैं। शिक्षा विशेषज्ञ सुषमा सिंघवी ने एक समाचार पत्र से चर्चा में कहा कि सीबीएसई के प्रश्न पत्रों में जिस तरह की गलतियां सामने आ रही हैं, उन्हें टाला जा सकता है। बोर्ड को चाहिए कि वो अपने स्तर पेपर-सेटर और मॉडरेटर को अच्छी तरह से ट्रेंड करें। जो फाइनल पेपर तैयार हुआ उसे सीबीएसई द्वारा नियुक्ति एक अधिकारी या पैनल जांचे ताकि इस तरह के प्रश्न  में पेपर में नहीं आए। इसके बाद ही कोई भी पेपर छात्रों के पास हल करने के लिए जाएं। सीबीएसई को भविष्य में ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों की परीक्षा में ऐसे प्रश्न नहीं पूछे जो जिससे किसी की भावनाएं को ठेस पहुंचे और उनकी मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़े।

सिंघवी आगे कहती है कि ऐसा पहली बार देखने और सुनने में आ रहा है कि सीबीएसई के पेपर में इतनी त्रुटियां सामने आई है। इसका एक अन्य कारण बोर्ड की तरफ से पेश किया गया नया मूल्यांकन प्रारूप भी हो सकता है। जिसमें छात्रों का संज्ञानात्मक कौशल देखने-परखने के लिए वस्तुनिष्ठ प्रश्न शामिल किए गए थे। बोर्ड की तरफ से किए गए ये बदलाव शिक्षकों के साथ छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए थोड़ा कठिन अनुभव लेकर आए हैं। क्योकि बोर्ड ने इस बार बहुत सारे बदलाव किए हैं- एक वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा, वस्तुनिष्ठ प्रश्न। इसलिए मुझे लगता है कि ये सभी बदलाव को एडजस्ट कर पाना सभी के लिए थोड़ा मुश्किल हो गया है।

प्रश्न पत्र बनाने के लिए दस साल का अनुभव है जरूरी

  • 10 वीं और 12 वीं के प्रश्न पत्र बनाने वालों की पहचान बोर्ड गोपनीय रखता हैं। परीक्षा संबंधी नियमों के मद्देनजर सभी पेपर-सेटर, मॉडरेटर, गोपनीयता अधिकारी, मुख्य परीक्षक और परीक्षक सीबीएसई अध्यक्ष की तरफ से नियुक्त किए जाते हैं।
  • बोर्ड के नियम के अनुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति उस साल का पेपर सेट नहीं कर सकता है, जब उनके निकट संबंधी बोर्ड परीक्षा में हिस्सा ले रहे हो। पेपर प्रश्न पत्र बनाने वाले के पास प्रासंगिक विषय या संबद्ध विषय में स्नातकोत्तर डिग्री होना आवश्यक है। जबकि उसके पास संबंधित विषय को पढ़ाने का कम से कम 10 साल का अनुभव भी होना चाहिए। 
  • संबंधित व्यक्ति को किसी निजी संस्थान में ट्यूशन या कोचिंग पढ़ाने से जुड़ा नहीं होना चाहिए और इस तरह की किसी अन्य गतिविधि का हिस्सा भी नहीं होना चाहिए।
  • बोर्ड नियमों के तहत यह भी अनिवार्य है कि पेपर-सेटर यह सुनिश्चित करे कि प्रश्न पत्र विषय के पाठ्यक्रम, ब्लूप्रिंट, डिजाइन और पाठ्य पुस्तकों और रिकमंड की गई किताबों पर ही आधारित हो। 
  • पेपर बनाने वालों से यह भी अपेक्षा की जाती है कि कोई भी प्रश्न गलत तरीके से या अस्पष्ट तरीके से नहीं लिखा हो जिससे पढ़ने वाला उसका कोई और गलत मतलब निकाले।

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