तेलंगाना विधानसभा ने रविवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग (OBC) को 42 प्रतिशत आरक्षण देने वाले दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए। ये संशोधन 2018 के कानून में बदलाव के रूप में पेश किए गए थे। विधानसभा ने तेलंगाना नगरपालिकाएं (तीसरा संशोधन) विधेयक, 2025 और तेलंगाना पंचायत राज (तीसरा संशोधन) विधेयक, 2025 को संक्षिप्त चर्चा के बाद मंजूर कर दिया। इससे पहले राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी किया था, जिसे राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास भेजा था।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने पूर्व सरकार पर साधा निशाना
मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार स्थानीय निकाय चुनाव 30 सितंबर से पहले कराना अनिवार्य है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस सरकार केवल तभी चुनाव कराएगी जब 42 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग आरक्षण लागू हो जाएगा। रेवंत रेड्डी ने पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव पर निशाना साधते हुए कहा कि बीआरएस सरकार ने कभी पिछड़ा वर्ग आरक्षण बढ़ाने की ईमानदार कोशिश नहीं की। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर बीआरएस सचमुच गंभीर थी, तो दिल्ली के जंतर मंतर पर हुए धरने में उनका समर्थन क्यों नहीं मिला।
समर्पण आयोग का गठन
मुख्यमंत्री ने बताया कि विधायी और कानूनी पहलुओं की समीक्षा के बाद ही समर्पण आयोग का गठन किया गया। जाति जनगणना 4 फरवरी 2024 से शुरू होकर 4 फरवरी 2025 को पूरी हुई। उन्होंने कहा, “हमने 365 दिनों की समयसीमा में पूरी मेहनत से कानून बनाने का काम पूरा किया।”
पिछड़ा वर्ग समाज को मिलेगा लाभ
कांग्रेस मंत्री पोननल प्रभाकर ने बताया कि अध्यादेश को अब बिल का रूप दिया गया है, जो संसदीय प्रक्रिया का हिस्सा है। वहीं, टीपीसीसी अध्यक्ष महेश कुमार गौड़ ने खुशी जताते हुए कहा कि विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित विधेयक पिछड़ा वर्ग समाज को बड़ा लाभ देगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि समाज इसे खुले दिल से स्वीकार करेगा। कांग्रेस ने 2023 विधानसभा चुनावों से पहले वादा किया था कि स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग आरक्षण को 23 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत किया जाएगा, और अब विधेयक पारित होने के साथ यह वादा पूरा हो रहा है।