तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने एक बार फिर से हिंदी भाषा को लेकर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि, अगर राज्य अपनी भाषाओं की रक्षा नहीं कर पाते हैं और इसमें असफल रहते हैं तो हिंदी उन पर हावी हो जाएगी और स्थानीय भाषा की पहचान खत्म हो जाएगी। यही कारण है कि द्रविड़ आंदोलन सदा से ही हिंदी थोपे जाने के खिलाफ है, लेकिन हिंदी भाषा के प्रति उसका कोई द्वेष नहीं है।
तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने एक बार फिर से हिंदी भाषा को लेकर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि, अगर राज्य अपनी भाषाओं की रक्षा नहीं कर पाते हैं और इसमें असफल रहते हैं तो हिंदी उन पर हावी हो जाएगी और स्थानीय भाषा की पहचान खत्म हो जाएगी। यही कारण है कि द्रविड़ आंदोलन सदा से ही हिंदी थोपे जाने के खिलाफ है, लेकिन हिंदी भाषा के प्रति उसका कोई द्वेष नहीं है।
कोझिकोड में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत की राज्यों की तरह उत्तर भारत के कई राज्यों में सांस्कृतिक लोकाचार और अपनी पहचान की रक्षा के लिए उनके पास अपना कोई फिल्म उद्योग नहीं है। नतीजतन, उनके पास केवल हिंदी फिल्में हैं और अन्य उत्तर भारतीय भाषाओं को हिंदी फिल्मों की तुलना में बहुत कम ध्यान दिया गया है।
कोझिकोड में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत की राज्यों की तरह उत्तर भारत के कई राज्यों में सांस्कृतिक लोकाचार और अपनी पहचान की रक्षा के लिए उनके पास अपना कोई फिल्म उद्योग नहीं है। नतीजतन, उनके पास केवल हिंदी फिल्में हैं और अन्य उत्तर भारतीय भाषाओं को हिंदी फिल्मों की तुलना में बहुत कम ध्यान दिया गया है।
‘अगर हम अपनी भाषा की रक्षा करने में विफल रहते हैं, तो…’
उदयनिधि ने कहा उत्तर भारत की सभी भाषाओं ने हिंदी को रास्ता दे दिया है। अगर हम अपनी भाषा की रक्षा करने में विफल रहते हैं, तो हिंदी हमारी संस्कृति पर कब्जा कर लेगी और हमारी पहचान को खत्म कर देगी। यही कारण है कि द्रविड़ आंदोलन हिंदी थोपे जाने के खिलाफ है, लेकिन उस भाषा के प्रति कोई दुश्मनी नहीं है।
उन्होंने कहा, हम दोनों को भाजपा से खतरा है जो एक राष्ट्र, एक चुनाव, एक संस्कृति और धर्म की अवधारणा को थोपने की कोशिश कर रही है। हमें फासीवादी भाजपा से अपनी भाषा, संस्कृति और साहित्य की रक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में द्रविड़ राजनीतिक आंदोलन ने लंबे समय तक साहित्य और भाषा को अपने आधार स्तंभ के रूप में रखा है। जो अपने मजबूत भाषाई और सांस्कृतिक गौरव के लिए जाना जाता है।
उदयनिधि ने कहा कि आज भी, तमिल भाषा और साहित्य पर गर्व राज्य की स्वायत्तता और सांस्कृतिक उत्कृष्टता के बारे में नीतियों और चर्चाओं को बढ़ावा देता है। इससे पहले, भाषाई अवज्ञा पर तमिलनाडु के रुख को राष्ट्रवादियों द्वारा विभाजनकारी माना जाता था। उन्होंने कहा किउनका मानना था कि हिंदी थोपने का विरोध अंततः राष्ट्र में फूट डालेगा, हालांकि, कई दशकों के बाद भी इतिहास ने इसके विपरीत साबित कर दिया है कि तथाकथित राष्ट्रवादी जो अभी भी सभी गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपना चाहते हैं, वास्तव में विभाजनकारी हैं।