विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शुक्रवार चीन और पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में मौजूदा गिरावट भारत की ओर से नहीं पैदा की गई। इसके लिए सिर्फ और सिर्फ चीन ही जिम्मेदार है। विदेश मंत्री ने कहा कि किसी रिश्ते को चलाने के लिए दोतरफा प्रयास जरूरी होता है।
विदेश मंत्री ने कहा कि संबंधों में गिरावट आना हमारी देन नहीं है, यह चीन द्वारा 1993 और 1996 के समझौते का उल्लंघन करके पैदा की गई हैं। यदि हमें एक सभ्य संबंध बनाना है तो उन्हें उन समझौतों का पालन करने की आवश्यकता है और उन्हें यह समझना होगा कि दो प्रमुख देशों के संबंध तभी काम करते हैं जब वे पारस्परिक हित, आपसी संवेदनशीलता और पारस्परिक सम्मान पर आधारित होते हैं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या दो एशियाई दिग्गजों के बीच व्यापार संबंधी रिश्ते हो सकते हैं तो उन्होंने कहा कि ताली बजाने के लिए दो हाथों की जरूरत होती है और चीन को भी व्यावहारिक रिश्ते में विश्वास होना चाहिए। अगर बेहतर कामकाजी संबंध बनाए रखना है तो चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 1993 और 1996 में हुए समझौतों का पालन करना होगा।
उन्होंने पीओके के मसले पर भी कहा कि तथ्य यह है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को छोड़कर हमने दो विरोधी देशों को करीब आने का मौका दे दिया। आज हमें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ रही है।