जम्मू-कश्मीर: पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती को किया गया नजरबंद

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को प्रशासन ने नजरबंद कर दिया है। इसके बारे में उन्होंने सोशल मीडिया में जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि वह शहीद दिवस के मौके पर श्रद्धांजलि देने ने लिए कब्रिस्तान जाना चाहती थी। इसके अलावा नेशनल कांफ्रेंस के नेता के घर के बाहर भी बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों की तैनात की गई है। 

महबूबा ने आरोप लगाया कि केंद्र ने अनुच्छेद 370 को अवैध रूप से निरस्त किए गए कृत्य को सही ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सामान्य स्थिति के अपने बड़े दावों का इस्तेमाल किया है। हमारे लिए जिन लोगों ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की जड़ें जमाने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया, उनके साहसपूर्ण कार्य की हमेशा सराहना की जाएगी।

हम आपको हमारे इतिहास को विकृत करने या हमारे नायकों को भूलने की अनुमति नहीं देंगे। शहीद दिवस के अवसर पर मैं तानाशाहों के खिलाफ बहादुरी से लड़ने वालों के साहस को सलाम करती हूं। 

उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला 1931 में डोगरा शासक की सेना के हाथों मारे गए 22 कश्मीरियों को श्रद्धांजलि देने के लिए पार्टी मुख्यालय घर से पैदल निकले। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्यक्रम में पहुंचने के लिए उन्हें पुलिस ने एस्कार्ट वाहन और सुरक्षा देने के लिए इन्कार कर दिया।

फिलहाल पुलिस ने इस बारे में कुछ जानकारी नहीं दी। अब्दुल्ला शहर के गुपकार इलाके से पैदल ही जीरो ब्रिज के पास स्थित कार्यालय के लिए पैदल ही निकले। उसके साथ कुछ वीवीआईपी सुरक्षा में शामिल अधिकारी जरूर घूमते नजर आए। पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर कार्यालय तक पैदल चलने का एक वीडियो पोस्ट किया है। 

दो के बाद 370 पर रोज सुनवाई… कुछ गड़बड़ है: महबूबा

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 370 पर फैसला करते समय देश के संविधान और कानून की रक्षा करेगा। हालांकि, उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा पिछले महीने 19वीं अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण की बैठक के लिए कश्मीर का दौरा करने के तुरंत बाद मामले की सुनवाई की तारीखों की सूची पर आशंका जताई थी।

 श्रीनगर में पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए महबूबा ने कहा, पिछले चार वर्षों में कोई सुनवाई नहीं हुई जब बिना किसी आपात स्थिति वाले इतने सारे मामलों की सुनवाई की गई। इसलिए कश्मीर दौरे के तुरंत बाद मामले की सुनवाई करना और यह तय करना कि यह 2 अगस्त के बाद रोजाना होगा, कहीं न कहीं यह आशंका पैदा करता है कि जिस भाजपा ने पहले जी20 और फिर इन जजों के दौरे के जरिए जाल बिछाया है, शायद कुछ गड़बड़ है।

महबूबा ने कहा कि सीजेआई और 200 न्यायाधीशों को उन्हें यह दिखाने के लिए यहां लाया गया था कि जम्मू-कश्मीर में कब्रिस्तान जैसी खामोशी का मतलब है कि यहां सब कुछ ठीक है”। उन्होंने कहा, हालांकि, मुझे उम्मीद है कि ये सभी न्यायाधीश, जो बुद्धिमान हैं और लोगों की नियति का फैसला करते हैं, उन्होंने देखा होगा कि परदे के पीछे की वास्तविकता क्या है।

पीडीपी प्रमुख ने कहा कि पिछले चार वर्षों में जब मामला शीर्ष अदालत में था, तब जम्मू-कश्मीर में कई कानून लागू किए गए थे, जिनके आधार पर हमारी जमीन, हमारी नौकरियां और हमारे संसाधन लूट लिए गए।

उन्होंने कहा, “क़ानून कहता है कि जब तक कोई मामला अदालत में है, तब तक कोई ऐसा निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए जो मामले को प्रभावित कर सके। चूंकि भाजपा ने न्यायपालिका और कानून का विरोध करने का बीड़ा उठाया है, इसलिए उसने 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करके संविधान और सर्वोच्च न्यायालय को कुचल दिया। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here