हरियाणा-हिमाचल ही नहीं, दिल्ली को इन 5 राज्यों से मिलता है 90% पीने का पानी

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पानी को तरस रही है. दिल्ली के कई इलाकों में जलसंकट का दायरा बहुत ज्यादा बढ़ चुका है. केजरीवाल सरकार का कहना है कि राजधानी में इस समय रोजाना 50 मिलियन गैलन पानी की कमी है. जल संकट का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार दिल्ली को पानी की कम आपूर्ति कर रही है. इस बीच अपने बयान से पलटते हुए हिमाचल सरकार ने दिल्ली को पानी देने से साफ इंकार कर दिया है. पूरे मामले पर सियासत गर्मा गई है.

तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बीच दिल्ली में जलसंकट बना हुआ है. दिल्ली को पानी की सप्लाई करने में केवल हरियाणा और हिमाचल प्रदेश का नाम प्रमुखतौर पर सामने आया है. हालांकि, पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब भी दिल्ली को पानी की सप्लाई करते हैं.

दिल्ली में 5 राज्यों से 90 फीसदी पीने की पानी की सप्लाई

पांच राज्य मिलकर दिल्ली में 90 फीसदी पीने के पानी की सप्लाई करते हैं. यहां हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब का पानी पहुंचता है. अब इसके चैनल को समझते हैं. पंजाब से भाखरा नांगल बांध के जरिए यहां पानी पहुंचता है. उत्तर प्रदेश की बात करें तो गंगा नदी और उत्तराखंड में टिहरी डैम के जरिए दिल्ली को पानी मिलता है. हरियाणा की तरफ से यमुना के जरिए पानी पहुंचता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी दिल्ली को उत्तर प्रदेश में ऊपरी गंगा नहर के जरिए रोजाना 470 क्यूसेक पानी मिलता है. वहीं, यमुना और रावी-ब्यास नदियों से शहर को 1,049 क्यूसेक पानी की आपूर्ति होती है.

दिल्ली जल बोर्ड (DJB) भी यमुना से पानी लेता है. दिल्ली की पानी की सप्लाई यमुना, ऊपरी गंगा नहर, भाखड़ा स्टोरेज और जमीनी पानी से होती है. राजधानी अपनी जरूरत का 41 फीसदी पानी यमुना, 27 फीसदी पानी ऊपरी गंगा नहर, 24 फीसदी पानी भाखड़ा स्टोरेज और 9 प्रतिशत ट्यूबवेल से करती है.

प्लान बना पर पूरा नहीं हुआ

दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने हाल में आरोप लगाया था कि एक मई से हरियाणा ने यमुना में आने वाले दिल्ली के हिस्से को रोक दिया था. इसके बाद नदी का जलस्तर घटा और जलसंकट के हालात बने. दिल्ली को पानी की आपूर्ति वजीराबाद से होती है. दिल्ली में जलसंकट के कुछ और भी कारण रहे हैं. राजधानी में पानी की सप्लाई की जिम्मेदारी दिल्ली जल बोर्ड के पास है.

गर्मी की शुरुआत से पहले ही पानी की मांग और सप्लाई का हाल देखते हुए जल बोर्ड ने 587 ट्यूबवेल लगाने की योजना बनी थी. योजना का मकसद था कि इसके जरिए दिल्ली की प्यास बुझाने की कोशिश की जाएगी. पहले चरण में कुछ इलाकों में इसे लगवाया गया. योजना के दूसरे चरण में 259 ट्यूबवेल लगने थे. इसके लिए जल बोर्ड को 1800 करोड़ रुपए की आवश्यकता थी. योजना को आगे बढ़ाने के लिए जल बोर्ड ने दिल्ली सरकार के वित्त विभाग को लेटर लिखा था, लेकिन पैसों की पूर्ति नहीं हो पाई और ट्यूबवेल लगाने का काम नहीं पूरा हो पाया.

दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों की नदियों या तो सूख चुकी हैं. या फिर उनका पानी पीने लायक नहीं बचा है. जल प्रदूषण अपने चरम पर पहुंचने के कारण पीने के पानी की समस्या के समाधान के लिए राजधानी को पड़ोसी राज्यों पर निर्भर होना पड़ रहा है.

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