‘डॉक्टर्स डे’ पर डॉ. बी.सी. राय की याद !

फादर्स डे, मदर्स डे, टीचर्स डे आदि विशेष दिनों की भांति भारत भर में चिकित्सक ‘डॉक्टर्स डे’ भी मनाते हैं। इसे देश के महान् चिकित्सक डॉ. बी. सी. राय की स्मृति में मनाया जाता है। बी. सी. राय यानी बिधान चन्द्र राय। डॉक्टर साहब के जीवन से जुड़ी दो खास बातों का जिक्र करना चाहेंगे। वे जिस तारीख को जन्मे, उसी तारीख में उनका निधन भी हुआ। डॉ. राय का जन्म 1 जुलाई, 1882 में बिहार के गांव बांकीपुर में हुआ था।

उनके पिता प्रकाश चन्द्र राय बिहार में एक्साइज इंस्पेक्टर और बाद में डिप्टी कलेक्टर रहे। डॉ.बी.सी राय की मृत्यु 1 जुलाई, 1962 को कोलकाता में हुई। तब वे पश्चिमी बंगाल के मुख्यमंत्री थे। पहली जुलाई, 1962 को उन्होंने अपना रोज़मर्रा का काम निपटाया और मरीजों को देखा। मध्याह्न 3 बजे के कुछ मिनटों बाद वे दुनिया को अलविदा कह गए।

डॉ. राय के जीवन का दुःखद पहलू यह था कि वे जीवन भर अविवाहित रहे। एक दुखान्त फिल्मी हीरो की भांति वे एक असफल प्रेम की पहचान बने रहे। कोलकाता के तब के प्रख्यात डॉक्टर नीलरत्न सरकार की बेटी कल्याणी से युवा बिधान चन्द्र राय का प्रेम संबंध हो गया। उन्होंने डॉक्टर सरकार से निवेदन किया कि वे कल्याणी को अपनी सह-धर्मिणी बनाना चाहते हैं किन्तु डॉ. सरकार ने उनका निवेदन ठुकरा दिया। बिधान चन्द्र ने कहा- ‘कल्याणी नहीं तो कोई नहीं।’ आजीवन अविवाहित रहने का प्रण लिया जो जीवन पर्यन्त निभाया।

तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद डॉ. राय ने लन्दन से एम.आर.सी.पी. तथा एफ.आर.सी.एस. किया। अथक परिश्रम व योग्यता के बल पर उनकी गणना देश के प्रख्यात चिकित्सकों में होने लगी। वे महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू, रवींद्रनाथ टैगोर, मदर टेरेसा आदि प्रतिष्ठित लोगों के स्वास्थ्य सलाहकार बने। 1928 में भारत भर के चिकित्सकों की प्रतिनिधि संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्थापना की।

कलकत्ता के पहले स्नातकोत्तर मेडिकल कालेज की स्थापना में उनकी मुख्य भूमिका रही। डॉ. राय ने जादवपुर टी.बी. अस्पताल, चितरंजन सेवा सदन, कमला नेहरु अस्पताल, विक्टोरिया इंस्टीट्यूट, चितरंजन अस्पताल की स्थापना जैसे बड़े काम किये।

डॉ. बिधान चन्द्र राय, जनसेवा, राष्ट्र‌भक्ति और राजनीति की त्रिवेणी के रूप में जाने जाते थे। वे आधुनिक बंगाल के शिल्पकार थे। गरीबों के मसीहा के रूप में पश्चिमी बंगाल में उनकी ख्याति थी। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के फार्वर्ड ब्लाक व कांग्रेस से जुड़े। सविनय अवज्ञा आंदोलन में जेल गए। 1923 में बैरकपुर विधान सभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए। सदन में हुबली नदी में बढ़ रहे प्रदूषण का मुद्दा शिद्दत से उठाया। सन् ‌1933 में कलकत्ता के मेयर निर्वाचित हुए।। 1942 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के उप कुलपति बने। उनकी अथक सेवाओं व योग्यता को दृष्टिगत सन् 1944 में डॉ.बी.सी. राय को ‘डॉक्टर ऑफ साइंसेज’ से सम्मानित किया गया।

डॉ. राय के मन से कल्याणी की माद नहीं गई थी। सन् 1950 में पश्चिमी बंगाल के नदिया जिले में उन्होंने कल्याणी के नाम पर एक उपनगर (सब्र) ‘कल्याणीनगर’ बसाया। उन्होंने दुर्गापुर, बिधाननगर, अशोकनगर व हाब्रा शहर भी बसाये।

सन् 1947 में कुछ समय के लिए उत्तर प्रदेश के गर्वनर रहे। डॉ. राय ने राजभवन के द्वार गरीब मरीजों के लिए खोल दिए। लीडर, पायनियर व नेशनल हेराल्ड अख़बारों ने डॉ. राय की सेवाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्हें भारतीय चिकित्साशास्त्र के ऋषि चरक और सुश्रुत का समन्वित (मिलाजुला) स्वरूप बता कर वैदिक ऋषियों से उनकी तुलना की गई।

सन् 1961 में डॉ.बी.सी. राय को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारतरत्न’ से नवाजा गया। सन 1976 में उनकी स्मृति में डॉ. बी.सी. राय अवार्ड की स्थापना हुई।

सन् 1961 में उन्होंने अपनी माता श्रीमती कामिनी देवी के नाम पर बना अपना अस्पताल व क्लीनिक जनता को समर्पित कर दिया। पटना स्थित सभी संम्पतियों का ट्रस्ट बनाया। प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी गंगाशरण सिंह को ट्रस्टी नियुक्त किया और अपनी सभी सम्पत्ति जनता जनार्दन की सेवा में अर्पित कर दी।

डॉ. बी.सी. राय अपने प्रोफेशन में इतने दक्ष थे कि जब सन् 1961 में वे अमेरिका यात्रा के दौरान वाइट हाउस में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी से मिले तो कैनेडी को देखते ही कहा कि मिस्टर प्रेसिडेंट, आप तो एडिसन रोग से पीड़ित हैं। कैनेडी की मेडिकल टीम ने चेकअप किया तो डॉ. राय की बात सच निकली।

डॉ. बी.सी. राय के विषय में और भी बहुत कुछ कहने-लिखने योग्य है। मैं सामर्थ्यवान होता तो उन पर फिल्म बना डालता जिसमें एक सच्चे प्रेमी, सच्चे जन सेवक और सच्चे राष्ट्रभक्त की सच्ची कहानी होती। सच में डॉ. राय की प्रेम व सेवा की अमर कहानी युगों-युगों तक याद रखी जाएगी। जन्म दिवस और पुण्य तिथि पर डॉ. बिधान चन्द्र राय को हमारा शत-शत नमन !

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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