प्रेमानंद महाराज ने प्रदीप मिश्रा को दी नसीहत, विवाद खत्म करने का बताया रास्ता

धर्म रक्षा संघ का एक प्रतिनिधि मंडल हनुमान टेकरी के महंत अधिकारी दशरथ दास महाराज के नेतृत्व में ब्रज के रसिक संत प्रेमानंद महाराज से मिलने के लिए आज सुबह श्रीराधा केली कुंज पहुंचा। प्रतिनिधि मंडल ने 24 जून को बरसाना में प्रदीप मिश्रा के खिलाफ रमेश बाबा की अध्यक्षता में हुई महापंचायत के बारे में प्रेमानंद महाराज को विस्तृत जानकारी दी और उनसे मार्गदर्शन का अनुरोध किया।

संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि व्यास मंच पर बैठने से पहले किसी भी व्यक्ति को अपने गुरुजनों के चरणों में बैठकर कथा का रहस्य जानना चाहिए और संपूर्ण ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। उसके बाद ही उसे किसी भी प्रसंग को सार्वजनिक रूप से बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदीप मिश्रा अपने को शास्त्र का ज्ञानी समझ रहे हैं, जबकि वह किशोरी जी के विषय में कुछ भी नहीं जानते। उन्होंने ललकारा कि यदि श्रीजी के विषय में वो कुछ भी जानना चाहतं हैं तो आकर हमारे सामने वृन्दावन की रज में बैठ जाएं, हम कुछ भी नहीं बोलेंगे मौन रहेंगे और तुम्हें श्रीजी का ज्ञान प्राप्त हो जाएगा।

उन्होंने कहा की प्रदीप मिश्रा हमारा भाई है, उसने जिस जुबान से त्रुटि की है उसी जुबान से वह माफी मांग ले सारा मामला सुलझ जाएगा। उसने क्षमा न मांगकर  बहुत बड़ी भूल की है। संत और ब्रजवासियों को उसकी वाणी से जो कष्ट हुआ है उसे भगवान भी क्षमा नहीं करेंगे और उसे दंड भुगतना ही पड़ेगा।

धर्म रक्षा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने कहा कि तीन दिन की समय सीमा पूरी होने के बाद भी प्रदीप मिश्रा अपने अहंकारी स्वभाव के कारण तस से मस नहीं हुए, मगर अब हमारे धर्म योद्धा, संत और ब्रजवासी शांत नहीं बैठेंगे और ना ही उसे क्षमा मांगने की याचना करेंगे, उन्होंने कहा कि धर्म रक्षा संघ की स्थापना विधर्मियों से लड़ने के लिए की गई थी और कितने कष्ट का विषय है कि आज हमें अपने सनातन धर्म के ही तथाकथित मूर्खों से लड़ना पड़ रहा है।

धर्म रक्षा संघ के राष्ट्रीय संयोजक आचार्य बद्रीश महाराज ने कहा कि आजकल प्रदीप मिश्रा की आत्मा में बकासुर प्रवेश कर गया है तभी वह इतना अमर्यादित और अनर्गल प्रलाप कर रहा है। हनुमान टेकरी के महंत अधिकारी दशरथ दास महाराज ने कहा की प्रदीप मिश्रा की राधारानी के प्रति की गई टिप्पणी से संत समाज और ब्रजवासी बहुत आहत हैं। प्रतिनिधि मंडल में महंत रामदास, महंत मोहन दास, महंत श्यामदास, महंत अखिलेश दास, महंत माधव दास, महंत रामकृपाल दास,श्रीदास प्रजापति, गोपाल शर्मा आदि उपस्थित थे।

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