राष्ट्रपति कोविंद ने लखनऊ में अंबेडकर स्मारक का किया शिलान्यास, कही ये बातें

लखनऊ: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को लखनऊ में भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर के स्मारक व सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास किया. राष्ट्रपति ने लोक भवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा की मौजूदगी में केंद्र की नींव रखी. 

केंद्र में क्या होगा खास?
आपको बता दें पिछले हफ्ते उप्र कैबिनेट ने ऐशबाग में आंबेडकर स्मारक सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण के लिए राज्य के सांस्कृतिक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. ये स्मारक ऐशबाग ईदगाह के सामने 5493.52 वर्ग मीटर नजूल भूमि पर बनेगा. इसमें डॉ अंबेडकर की 25 फीट ऊंची प्रतिमा भी होगी. 45.04 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले स्मारक में 750 लोगों की क्षमता वाला एक सभागार, पुस्तकालय, अनुसंधान केंद्र, चित्र गैलरी, संग्रहालय, एक बहुउद्देश्यीय सम्मेलन केंद्र, कैफेटेरिया, छात्रावास और अन्य सुविधाएं भी होंगी. सांस्कृतिक विभाग जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कर सकता है. 

राष्ट्रपति के संबोधन की कुछ महत्वपूर्ण बातें-: 
1. लखनऊ शहर से बाबासाहब आंबेडकर का भी एक खास संबंध रहा है, जिसके कारण लखनऊ को बाबा साहब की ‘स्नेह-भूमि’ भी कहा जाता है. बाबासाहब के लिए गुरु-समान, बोधानन्द जी और उन्हें दीक्षा प्रदान करने वाले भदंत प्रज्ञानन्द जी, दोनों का निवास लखनऊ में ही था. 

2. भारत सरकार द्वारा बाबासाहब से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों को तीर्थ-स्थलों के रूप में विकसित किया गया है. महू में उनकी जन्मभूमि, नागपुर में दीक्षा-भूमि, दिल्ली में परिनिर्वाण-स्थल, मुंबई में चैत्य-भूमि तथा लंदन में ‘आंबेडकर मेमोरियल होम’ को तीर्थ-स्थलों की श्रेणी में रखा गया है. 

3. बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर एक शिक्षाविद, अर्थ-शास्त्री, विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ, पत्रकार, समाज-शास्त्री व समाज सुधारक तो थे ही, उन्होंने संस्कृति, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्रों में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है. 

4. भारतीय संविधान के शिल्पकार होने के अलावा, हमारे बैंकिंग, इरिगेशन, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम, लेबर मैनेजमेंट सिस्टम, रेवेन्यू शेयरिंग सिस्टम, शिक्षा व्यवस्था आदि सभी क्षेत्रों पर डॉक्टर आंबेडकर के योगदान की छाप है. 

5. बाबासाहब के ‘विजन’ में चार बातें सबसे महत्वपूर्ण रहीं हैं. ये चार बातें हैं – ‘नैतिकता’, ‘समता’, ‘आत्म-सम्मान’ और ‘भारतीयता’. इन चारों आदर्शों तथा जीवन मूल्यों की झलक बाबासाहब के चिंतन एवं कार्यों में दिखाई देती है.

6. भगवान बुद्ध के विचारों का भारत की धरती पर इतना गहरा प्रभाव है कि भारतीय संस्कृति के महत्व को न समझने वाले साम्राज्यवादी लोगों को भी महात्मा बुद्ध से जुड़े सांस्कृतिक आयामों को अपनाना पड़ा.

7. बाबासाहब, आधुनिक भारत के निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका के पक्षधर थे. वे महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए सदैव सक्रिय रहे. बाबासाहब द्वारा रचित हमारे संविधान में शुरू से ही मताधिकार समेत प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को समान अधिकार प्रदान किए गए हैं.

8. बाबासाहब के जीवन-मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप समाज व राष्ट्र का निर्माण करने में ही हमारी वास्तविक सफलता है. इस दिशा में हमने प्रगति अवश्य की है लेकिन अभी हमें और आगे जाना है.

9. आज महिलाओं के संपत्ति पर उत्तराधिकार जैसे अनेक विषयों पर बाबासाहब द्वारा सुझाए गए मार्ग पर ही हमारी विधि-व्यवस्था आगे बढ़ रही है. इससे यह स्पष्ट होता है कि बाबासाहब की दूरदर्शी सोच अपने समय से बहुत आगे थी. 

5 दिवसीय दौरे पर यूपी आए थे राष्ट्रपति 
राष्ट्रपति यूपी के पांच दिवसीय दौरे पर 25 जून को प्रेसिडेंशियल एक्सप्रेस ट्रेन से कानपुर पहुंचे थे. तीन दिन वह कानपुर में थे. वहां अपने परिचितों और प्रतिष्ठित लोगों मिलने के अलावा, राष्ट्रपति रविवार को कानपुर देहात में अपने पैतृक गांव परौंख भी गए थे. इसके बाद सोमवार को अपने दो दिवसीय दौरे पर कानपुर से प्रेसिडेंशियल एक्सप्रेस से लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंचे.  यहां रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर राष्ट्रपति सीधे राजभवन गए यहां उन्होंने सोमवार को रात्रि प्रवास किया. 

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