रामपुर तिराहा कांड: बुजुर्ग गवाह बोली- खुले न्यायालय में पीड़ा सुनाना मुश्किल

रामपुर तिराहा कांड में गवाही के लिए पहुंचीं 75 साल की बुजुर्ग गवाह ने कहा कि खुले न्यायालय में पीड़ा सुनाना मुश्किल है। अलग से कमरे की व्यवस्था होनी चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि कानून के अनुसार ही गवाही होगी। उधर, सीबीआई के प्रार्थना पत्र पर आरोपियों को समन जारी कर दिए गए हैं। 

अपर जिला जज एवं सत्र न्यायालय पॉक्सो-2 के पीठासीन अधिकारी अंजनी कुमार सिंह की अदालत में मामले की सुनवाई हुई। उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा और बचाव पक्ष के श्रवण कुमार एडवोकेट ने बताया कि चमोली से 75 साल की गवाह अदालत में हाजिर हुई। मौखिक रूप से पीड़िता का कहना था कि 30 साल पहले जो हुआ, उसे खुले न्यायालय के बजाए, अलग से कमरे में सुना जाना चाहिए। अदालत ने अलग से कमरे की व्यवस्था नहीं होने के विषय में स्पष्ट कर दिया। जिसके बाद पीड़िता के बयान दर्ज किए गए। अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी।

जिन पर आरोप, वह रहेंगे हाजिर
अदालत ने आदेश दिया कि जिन उन आरोपियों का हाजिर रहना जरूरी होगा, जिनके संबंध में गवाही होनी है। सीबीआई ने अदालत में सूची दी, जिसके बाद समन जारी किए गए। अगर संबंधित आरोपी हाजिर नहीं हुए तो गैर जमानत वारंट जारी किए जाएंगे।

यह था मामला
एक अक्तूबर 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच की और पुलिस पार्टी और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे। गंभीर धाराओं के ट्रायल मुकदमों की सुनवाई अपर जिला जज एवं सत्र न्यायालय पॉक्सो-2 के पीठासीन अधिकारी अंजनी कुमार सिंह कर रहे हैं।

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