तीन दिन के लिए लद्दाख जाएंगे धर्मगुरु दलाईलामा, भड़क सकता है चीन

भारत-चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में बने हुए गतिरोध और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के बाद तिब्बत के 14वें धर्मगुरु दलाईलामा एक साल बाद फिर से लेह लद्दाख की धार्मिक यात्रा पर जाएंगे। 21 से 23 जुलाई तक धर्मगुरु दलाईलामा के लेह लद्दाख के दौरे को वैश्विक कूटनीतिक नजरिये से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दलाईलामा के लेह लद्दाख के दौरे को लेकर पड़ोसी मुल्क चीन एक बार फिर से भड़क सकता है।

हालांकि, दलाईलामा दफ्तर ने आधिकारिक रूप से धर्मगुरु दलाईलामा के लेह लद्दाख के दौरे को पूरी तरह से धार्मिक यात्रा बताया है। मैक्लोडगंज स्थित दलाईलामा दफ्तर के सचिव सेटन सामदुप ने बताया कि धर्मगुरु दलाईलामा 21 से 23 जुलाई लेह लद्दाख में धार्मिक टीचिंग देंगे। आयोजन का मकसद सिर्फ धार्मिक है।

दलाईलामा लद्दाख बुद्धिष्ट एसोसिएशन और द लद्दाख गोंपा एसोसिएशन के निमंत्रण पर लेह लद्दाख की धार्मिक यात्रा पर जा रहे हैं। 23 जुलाई को टीचिंग के दौरान अनुयायी धर्मगुरु दलाईलामा की लंबी उम्र के लिए भी प्रार्थना करेंगे।

चीन का चढ़ गया था पारा
गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद इस बार धर्मगुरु दलाईलामा की लेह लद्दाख की यह दूसरी यात्रा है। पिछले साल दलाईलामा 15 जुलाई को एक महीने की लेह लद्दाख की यात्रा पर गए थे। उस वक्त दलाईलामा की लेह लद्दाख की यात्रा ने चीन का पारा बढ़ा दिया था। 

चीन दलाईलामा को एक अलगाववादी नेता मानता है। चीन कहता है कि दलाईलामा भारत और चीन की शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है। मार्च 1959 में तिब्बत से आए दलाईलामा को भारत सरकार शरण दी थी। चीन ने उस समय दलाईलामा को शरण दिए जाने पर भारत का कड़ा विरोध किया था। चीन ने इसी का बदला लेने के लिए भारत पर वर्ष 1962 में हमला किया था।

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