जालंधर वेस्ट के विधायक शीतल अंगुराल का इस्तीफा मंजूर

जालंधर लोकसभा सीट का चुनाव आज आना है लेकिन पिछले 72 घंटों में राजनीति में शह और मात का खेल चल रहा है। जहां एक तरफ पंजाब के स्पीकर तो दूसरी तरफ जालंधर वेस्ट से विधायक शीतल अंगुराल हैं।

शीतल अंगुराल उपचुनाव का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं लिहाजा उन्होंने स्पीकर से इस्तीफा वापस लेने के लिए ई-मेल व पत्र भेजा है लेकिन स्पीकर ने शीतल अंगुराल का इस्तीफा मंजूर कर लिया है।

दरअसल, शीतल अंगुराल पहले भाजपा के नेता थे। 2022 में विधानसभा चुनावों में उन्होंने भाजपा को अलविदा कहकर आप का दामन थाम लिया था और चुनाव जीतकर विधायक बन गए थे लेकिन उनका प्यार व दोस्ती भाजपा में कम नहीं हुई। वह विजय सांपला के अलावा तरुण चुघ के करीबी माने जाते हैं। 2024 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शीतल अंगुराल ने भाजपा ज्वाइन कर ली। 

यह सीएम भगवंत मान के लिए काफी झटका था और उन्होंने डैमेज कंट्रोल के लिए जालंधर में काफी ताकत झोंकी। इतना ही नहीं, शीतल अंगुराल ने आप के उम्मीदवार व प्रचार कर रहे सुशील रिंकू को भी भाजपा में शामिल करवाया और रिंकू को भाजपा की टिकट भी मिल गई। शीतल अंगुराल को उम्मीद थी कि हिमाचल की तर्ज पर जालंधर वेस्ट के उपचुनाव भी साथ ही हो जाएंगे लेकिन आप सरकार के सलाहकार भी शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं। 

स्पीकर कुलतार सिंह संघवा ने इस्तीफा मंजूर ही नहीं किया और तीन जून को अंगुराल को बुला लिया। शीतल भाजपा का हिस्सा बन चुके थे और दल बदल विरोधी कानून उन पर लागू हो रहा था। उपचुनाव न हो, इसके लिए शीतल ने एक ई-मेल स्पीकर संधवा को किया और बकायदा पत्र भी लिखकर कहा कि वह इस्तीफा वापस लेते हैं। लेकिन इससे पहले की तीन जून को शीतल पेश होकर अपने इस्तीफा वापस लेते, कुलतार संधवा ने शीतल का इस्तीफा मंजूर कर लिया। इसकी नोटिफिकेशन भी जारी हो चुकी है। शीतल अंगुराल ने अपने सोशल मीडिया पेज से भाजपा की तमाम तस्वीरें हटा दी थी। शह और मात के खेल में आप विधायक शीतल अंगुराल ने लोकसभा चुनाव में आप व कांग्रेस को खासा डैमेज किया। कांग्रेस के दिवंगत सांसद कर्मजीत कौर चौधरी को न केवल भाजपा ज्वाइन करवाई बल्कि सीएम मान के निकटवर्ती माने जाते पूर्व विधायक जगबीर बराड़ को भी भाजपा में ले गए।

विधायक सुबह करीब साढ़े 11 बजे स्पीकर से मिलने अंगुराल पहुंचे थे। हालांकि, स्पीकर विधानसभा में मौजूद नहीं थे, इसलिए विधायक को कुछ समय इंतजार करने के बाद लौटना पड़ा। वह स्पीकर के सामने अपना पक्ष रखने पहुंचे थे।

अंगुराल ने कहा, ‘मैं स्पीकर से मिलने पहुंचा था, लेकिन वह विधानसभा में मौजूद नहीं हैं। मैं उनके सेक्रेटरी से मिलकर आया हूं। स्पीकर फिलहाल दिल्ली में हैं, जिसके चलते वह मिल नहीं सके। अब 11 जून को सुबह 11 बजे मुझे दोबारा बुलाया गया है। इस्तीफा वापस लेने का लेटर मैंने सेक्रेटरी के पास जमा कर दिया है, और रिसीविंग ले ली है। लेकिन इसके कुछ समय बाद सरकार की नोटिफिकेश की कॉपी आ गई जिसमें शीतल अंगुराल का इस्तीफा मंजूर करने का जिक्र था। 

अंगुराल ने कहा कि चुनाव से 69 दिन पहले मैंने इस्तीफा दिया, लेकिन अभी तक मंजूर नहीं किया गया। यह इनकी मर्जी थी। इस्तीफा वापस लेना मेरा लोकतांत्रिक अधिकार था, जिसे मैंने इस्तेमाल किया। मैं अदालत का दरवाजा खटखटाउंगा। अंगुराल ने कहा कि मैंने इस्तीफा केवल इसलिए दिया था, क्योंकि लोकसभा चुनाव के साथ ही उसके चुनाव करवाए जाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मेरे लोगों ने वोट मुझे डाले हैं, न की किसी पार्टी को। इसलिए, मैंने इस्तीफा वापस लेने का फैसला लिया है।

ऑपरेशन लोटस के मुख्य शिकायतकर्ता हैं शीतल 
पंजाब की राजनीति में भूचाल लाने वाले ऑपरेशन लोटस के मुख्य शिकायतकर्ता शीतल अगुंराल ही हैं। करीब डेढ़ साल पहले ऑपरेशन लोटस मामले में आप के 2 विधायक शीतल अंगुराल और रमन अरोड़ा ने बयान दर्ज करवाए थे कि उनको पैसा देकर भाजपा नेताओं ने खरीदने की कोशिश की है। मोहाली थाने में केस दर्ज होने के बाद इस मामले की जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी गई थी, लेकिन विजिलेंस की जांच में डेढ़ साल बाद भी कोई ऐसा तथ्य सामने नहीं आया, जिससे किसी को इस केस में नामजद किया जा सके। भाजपा में शामिल होने के बाद शीतल अंगुराल ने कहा था कि ऑपरेशन लोटस के मामले में क्या-क्या हुआ, इसे लेकर वह जल्द ही बड़ा खुलासा करेंगे।

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