पश्चिमी यूपी में भाजपा को फायदा न दिला सका रालोद… जयंत लेंगे ये बड़ा फैसला

राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) भी लोकसभा चुनाव के बाद अब पार्टी संगठन की समीक्षा करेगा। चुनाव में पार्टी ने अपनी तो दोनों सीटें जीत लीं, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को अपेक्षित लाभ नहीं दिला सकी। 

लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में भाजपा और रालोद गठबंधन नौ सीटें ही जीत सका। यही वजह है कि अब संगठन इसकी समीक्षा में जुट गया है। माना जा रहा है कि इसकी गाज गिरेगी और प्रदेश में संगठनात्मक बदलाव होगा।

प्रदेश में पहले दो चरणों में 16 सीटें थीं। रालोद ऐन चुनाव से पहले भाजपा के साथ गठबंधन में आया था। दोनों दलों को उम्मीद थी कि वह पिछले चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में एक-दूसरे के साथ मिलकर बेहतर करेंगे। इसमें से बागपत और बिजनौर सीट पर रालोद अपने सिंबल पर चुनाव लड़ा तो अन्य पर भाजपा के प्रत्याशी मैदान में उतरे। 

जयंत चौधरी ने पीएम मोदी व अन्य भाजपा नेताओं के साथ संयुक्त सभाएं भी की। मगर जब परिणाम आया तो रालोद तो अपनी दोनों सीटें जीत गया, लेकिन भाजपा सात सीटें ही जीत सकी। ये सीटें रालोद के प्रभाव वाली मानी जाती हैं। हालांकि भाजपा ने गठबंधन धर्म निभाते हुए जयंत को केंद्र में मंत्री भी बनाया है, किंतु अब पार्टी में चुनाव की समीक्षा शुरू हो गई है। पार्टी सूत्रों के अनुसार जयंत ने चुनाव में संगठन को लेकर राष्ट्रीय व प्रदेश पदाधिकारियों से फीडबैक लिया है। इसमें यह बात निकलकर आई है कि वे भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं दिला सके।

 इसमें पार्टी संगठन की और कुछ नेताओं की निष्क्रियता भी रही। वहीं केंद्र और प्रदेश में भाजपा के साथ गठबंधन में जाने और मंत्री पद मिलने के बाद भी पार्टी की जिम्मेदारी बढ़ गई है। ऐसे में संगठन को सक्रिय और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिहाज से भी तैयार करना है। 

 यही वजह है कि पार्टी अब अपने संगठनात्मक ओवरहॉलिंग की तैयारी में है। पार्टी सूत्रों के अनुसार जल्द ही लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बैठक होगी।

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