भारतीय जनता पार्टी की एक विधायक ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए। कटोरिया विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक निक्की हेमब्रोम ने कहा कि मुख्यमंत्री इस सप्ताह हुई सत्ताधारी एनडीए के विधायकों की बैठक में आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया। निक्की भाजपा के एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। उन्होंने कहा कि जब मैंने शराब बंदी कानून से आदिवासियों पर पड़ रहे विपरीत असर का मुद्दा उठाया तो मुझे फटकार दिया गया।
निक्की हेमब्रोम ने इसे लेकर शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘मैं अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखती हूं और राज्य के एक ऐसे विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हूं जहां के लोग पारंपरिक रूप से महुआ उत्पादन का काम करते आ रहे हैं। महुआ पर अब शराब बंदी कानून के तहत प्रतिबंध लगा दिया गया है।’ उन्होंने कहा कि बीते सोमवार को हुई एनडीए विधायकों की बैठक में अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को सरकार के सामने उठाना मेरा कर्तव्य था।
भाजपा विधायक ने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री ने मुझसे बात ही मैं आश्चर्यचकित रह गई। मैं वो शब्द नहीं दोहराना चाहती हूं जो उन्होंने इस्तेमाल किए थे। इसके स्थान पर मैं चाहूंगी कि इस मुद्दे को ठीक तरह से संबोधित किया जाए। उन्होंने बताया कि इसे लेकर मैंने पार्टी के पास शिकायत भी की है और अब इस मामले पर क्या कदम उठाना है इसका फैसला पार्टी नेतृत्व करेगा। बता दें कि नीतीश कुमार ने राज्य में शराब बंदी लागू करने के लिए कई सख्त फैसले लिए हैं।
जदयू विधायक लेसी सिंह ने किया मुख्यमंत्री का बचाव
वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू (जनता दल यूनाइटेड) की विधायक लेसी सिंह ने मुख्यमंत्री का बचाव किया। उन्होंने पूरे घटनाक्रम को गलतफहमी करार दिया और कहा कि मुख्यमंत्री हेमब्रोम से केवल एक अभिभावक की तरह बात कर रहे थे। लेसी सिंह ने कहा, ‘मैं बैठक में मौजूद थी। शब्दों को अलग-अलग तरह से लिया जा सकता है और कई मतलब निकाले जा सकते हैं। वह केवल यह कह रहे थे कि शराब बंदी का फैसला महिलाओं को लेकर किया गया है।’
बता दें कि बिहार में शराब की बिक्री और सेवन पर अप्रैल 2016 में पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन शराब के सेवन की घटनाओं में राज्य में 40 से अधिक लोगों की जान जाने के बाद प्रशासन का यह फैसला आलोचकों के निशाने पर आ गया था। अब प्रदेश में शराब बंदी को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए सरकार ने पुलिस को पूरी छूट दे दी है। वहीं, इस दौरान राज्य में शराब बंदी को लेकर कार्रवाई के नाम पर पुलिस प्रताड़ना की कई शिकायतें भी सामने आई हैं।
इसके अलावा पिछले सप्ताह चयनित प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों ने शराब का सेवन न करने की और न दूसरों को करने देने की शपथ ग्रहण की थी। यह शपथ लेने का निर्देश मुख्यमंत्री की ओर से जारी किया गया था। लेकिन, मंगलवार को ही विधानसभा परिसर में बड़ी संख्या में शराब की खाली बोतलें मिलने के बाद सरकार के फैसला पर सवाल खड़े हुए। विपक्षी दलों की ओर से भी नीतीश सरकार पर शराब बंदी के कानून को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं।