कोरोना का खतरा टला नहीं है। दूसरी के बाद अब तीसरी लहर की दहशत है। संकट बच्चों की सुरक्षा को लेकर है। आशंका है कि तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होंगे। उनकी सेहत और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की चिंता हर गार्जियंस को है। बच्चों की सेहत और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को लेकर जब दैनिक भास्कर ने पड़ताल की तो बड़ा खुलासा हुआ। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कुपोषित बच्चों के लिए बनाया गया पुनर्वास केंद्र मनमानी का शिकार हो गया है। बच्चों के लिए आया खाने का सामान बाहर खुले में फेंक दिया जाता है या फिर जला दिया जाता है।
पड़ताल में सामने आई हकीकत
पुनर्वास केंद्र के भवन के पीछे अधिक मात्रा में खाद्य सामग्री खुले में फेंकी गई है। इसमें अधिक मात्रा में ऐसे सामान हैं, जिनकी पैकिंग तक नहीं खुली है। कुछ सामान तो बोरे में बंद हैं और कुछ को जला दिया गया है, जिसकी राख मौके पर दिखाई पड़ी। दरअसल, इन सामानों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी पुनर्वास केंद्र प्रभारी की है, लेकिन देखभाल नहीं होने से सामान खराब हो गए।
लॉकडाउन के दौरान बच्चों की संख्या कम रही और इस दौरान ही सामान अधिक खराब हुए हैं। स्टोर है, लेकिन इन्हें सुरक्षित नहीं रखा गया। सबसे अधिक नमक, बेसन और दलिया खराब हुआ है। सत्तू और बेसन के पैकेट भी खुले में फेंके गए हैं। पानी में भीगने और सीलन के कारण ही सामान खराब हुए हैं। कर्मचारियों द्वारा अधिकतर सामानों को पुनर्वास केेंद्र के पास ही चोरी से जला दिया गया, ताकि किसी की नजर नहीं पड़े। जो जलने लायक नहीं था, उसे फेंक दिया गया।
पुनर्वास केंद्र पर नहीं मिली जानकारी
दैनिक भास्कर की टीम ने जब पुनर्वास केंद्र की पड़ताल की तो वहां कोई जिम्मेदार नहीं मिला। कुर्सी खाली पड़ी थी, वार्ड में मौजूद एक नर्स ने फोटो लेने से मना करते हुए कहा कि प्रभारी अभी चली गई हैं। किचन और पुनर्वास केंद्र से जुड़ी कोई भी जानकारी साझा करने से नर्स ने मना कर दिया। नर्स ने प्रभारी का नंबर देने से मना करते हुए यह भी नहीं बताया कि उनसे मुलाकात कब हो सकती है। वार्ड में बच्चे भर्ती थे, उनकी दवाएं भी चल रही थीं लेकिन उनके बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी गई।
ऐसे मनमानी से बच्चों पर खतरा
शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों को लेकर चलाए जा रहे सरकार के विशेष अभियान में जिम्मेदारों की मनमानी से बच्चों की सेहत पर बड़ा खतरा है। सामान जो किचन के लिए आ रहा है उसे बाहर खुले में फेंका जा रहा है। ऐसे में कुपोषित बच्चों में कोरोना जैसे खतरनाक वायरस से लड़ने की क्षमता कहां से आएगी, यह बड़ा सवाल है।
कुपोषण को मात देने के लिए सेंटर की स्थापना
पटना मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग के कैंपस में ही पुनर्वास केंद्र बनाया गया है। यहां 5 साल तक के बच्चों को रखकर उनका कुपोषण दूर करने की पूरी व्यवस्था है। सेंटर पर माताओं को प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था है कि किस तरह से वह कुपोषण को मात दें। 2017 में सेंटर फॉर एक्सीलेंस की स्थापना का उद्देश्य ही कुपोषण को मात देना है। यहां भर्ती होने वाले बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है जिससे तेजी से उनका कुपोषण दूर होता है। मां को भी यहां प्रशिक्षण दिया जाता है कि वह किस तरह से बच्चों के साथ खुद को स्वस्थ रखें।
PMCH के प्रिंसिपल बोले- कराई जाएगी जांच
इस संबंध में दैनिक भास्कर ने PMCH के प्रिंसिपल डॉ. विद्यापति चौधरी से बात की। उनका कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आया है अब वह इसकी पड़ताल कराएंगे कि सामान क्यों फेंका गया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार के सहयोग से इसका संचालन होता है और सामान को बाहर फेंकना गलत है।