बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी बांड योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar assembly elections) से पहले एक गैर सरकारी संगठन ने राजनीतिक दलों के लिये कोष जुटाने वाली, 2018 की चुनावी बांड योजना (Electoral Bond scheme) को चुनौती देने वाली याचिका पर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) से जल्द सुनवाई करने का अनुरोध किया है। गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन ऑर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म’ ने इससे पहले इस साल जनवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान इस याचिका पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुये आवेदन दाखिल किया था। शीर्ष अदालत ने इस योजना पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया था। 

शीर्ष अदालत ने इस मामले में अंतरिम राहत के लिये दाखिल आवेदन पर केन्द्र और निर्वाचन आयोग से दो सप्ताह के भीतर 20 जनवरी तक जवाब मांगा था, लेकिन इसके बाद यह याचिका अभी तक सूचीबद्ध ही नहीं हुई। कोविड-19 महामारी के बीच ही बिहार विधानसभा के लिये 28 अक्टूबर से सात नवंबर के बीच तीन चरणों में चुनाव हो रहा है। इस चुनाव में मतगणना 10 नवंबर को होगी। 

इस मामले में शीघ्र सुनवाई का अनुरोध करते हुये कहा गया है कि हालांकि दो जनवरी, 2018 की अधिसूचना में चुनावी बांड की बिक्री के महीने हर साल जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर हैं, परंतु अप्रैल और जुलाई में इनकी बिक्री नहीं की गयी थी जबकि बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, अक्टूबर में, इसे खोल दिया गया है। 

इसमें कहा गया है कि पिछली सुनवाई की तारीख से नौ महीने बीत चुके हैं और बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान नया घटनाक्रम हो रहा है। ऐसी स्थिति में इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है। तत्काल सुनवाई की वजह बताते हुये इस संगठन ने कहा है कि भ्रष्टाचार और राजनीतिक दलों के लिये गैरकानूनी तथा विदेशी चंदे के माध्यम से लोकतंत्र को कुचलने के मुद्दे पर चार सितंबर 2017 को जनहित याचिका दायर की गयी थी। 

याचिका में कहा गया है कि इस योजना ने राजनीतिक दलों के लिये असीमित कार्पोरेट चंदे का रास्ता खोल दिया है। इस मामले में निर्वाचन आयोग ने फरवरी में अपना जवाब दाखिल किया और उसने न्यायालय से कहा था कि उसे भाजपा और कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों से चुनावी बांड के बारे में सीलबंद लिफाफे में स्थिति रिपोर्ट मिली है।

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