नवा रायपुर स्थित दण्डकारण्य अरण्य भवन में सोमवार को जैव विविधता और आर्द्रभूमियों (वेटलैंड्स) के संरक्षण को लेकर एक उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा, राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य तथा विधायकगण मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि समृद्ध छत्तीसगढ़ का विकास केवल अधोसंरचना के निर्माण से नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और जैव विविधता की रक्षा से ही संभव है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और नागरिकों से आग्रह किया कि वे ‘वेटलैंड मित्र’ बनकर इस अभियान को जनआंदोलन का रूप दें।
जैव विविधता और वेटलैंड्स की अहमियत पर जोर
कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि जैव विविधता और आर्द्रभूमियों का संरक्षण केवल पर्यावरण की आवश्यकता नहीं, बल्कि आगामी पीढ़ियों की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ विषय है। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से इसमें सक्रिय भागीदारी निभाने की अपील की।
राज्य की भूमिका और संरचना
छत्तीसगढ़ जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने कार्यशाला में व्यापक प्रस्तुति दी। उन्होंने 1992 के अर्थ समिट, जैव विविधता अधिनियम 2002, राष्ट्रीय जैव विविधता बोर्ड की भूमिका और स्थानीय जैव विविधता प्रबंधन समितियों की कार्यप्रणाली पर विस्तार से जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ देश का तीसरा राज्य है, जहां जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ प्रभावी रूप से कार्यरत हैं।
वेटलैंड्स का पारिस्थितिक महत्व
प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरुण कुमार पाण्डेय ने वेटलैंड्स की पारिस्थितिक भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये क्षेत्र प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में अहम योगदान करते हैं। उन्होंने राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और जिला स्तरीय समितियों के गठन की प्रक्रिया से भी अवगत कराया, जिनके माध्यम से स्थानीय स्तर पर वेटलैंड संरक्षण को बल मिल रहा है।
सभी से जुड़ने की अपील
कार्यशाला के समापन पर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से अपील की गई कि वे ‘वेटलैंड मित्र’ के रूप में आगे आकर जैव विविधता और वेटलैंड संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाएं। यह सामूहिक प्रयास राज्य में पर्यावरणीय चेतना को जनांदोलन में बदलने की दिशा में एक अहम कदम होगा।
इस अवसर पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव (वन) ऋचा शर्मा, छत्तीसगढ़ वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव राजेश कुमार चंदेले सहित कई वरिष्ठ अधिकारी और पर्यावरण विशेषज्ञ भी उपस्थित रहे।