लोकतांत्रिक संस्थाओं को सशक्त करने की कोशिश सभी दलों को करनी चाहिए: बिरला

लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने आज भारत में राज्य विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में उन्होंने कहा कि आज पीठासीन अधिकारियों के साथ हुई बैठक में कई विषयों पर चर्चा हुई जिसमें कहा गया कि सभी राज्यों और देश के अंदर राज्यपाल के अभिभाषण और राष्ट्रपति के अभिभाषण के समय हस्तक्षेप न करें ये हमारी मर्यादा के अनुकूल नहीं है। लोकसभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि लोकसभा और विधानसभा में बिना तथ्यों के किसी भी तरह के आरोप-प्रत्यारोप से बचना चाहिए। हमारी कोशिश होनी चाहिए लोकतांत्रिक संस्थाओं को सशक्त करने की कोशिश सभी राजनैतिक दलों को करनी चाहिए। 

इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि संसदीय कार्यवाही के दौरान किसी शब्द के प्रयोग को प्रतिबंधित नहीं किया गया है बल्कि उन्हें संदर्भ के आधार पर कार्यवाही से हटाया जाता है तथा सभी सदस्य सदन की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। बिरला ने उन आलोचनाओं को खारिज कर दिया कि असंसदीय शब्दों के चयन में भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार का हाथ था। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधायिका स्वतंत्र है और कार्यपालिका संसद को निर्देश नहीं दे सकती है। लोकसभा सचिवालय ने ‘‘ असंसदीय शब्द 2021 ’’ शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है जिसमें जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, तानाशाह, भ्रष्ट, ड्रामा, अक्षम, पिठ्ठू जैसे शब्द शामिल हैं। 

इस मुद्दे पर विवाद उत्पन्न होने के बाद बिरला ने स्थिति स्पष्ट करने के लिये संवाददाता सम्मेलन बुलाया और कहा कि असंसदीय शब्दों के संकलन की ऐसी पुस्तिका जारी करना 1954 से नियमित प्रथा है और इसमें राज्य विधानसभाओं की कार्यवाही से हटाये गए शब्दों को भी शामिल किया जाता है। विपक्षी दलों द्वारा इस संबंध में विरोध जताए जाने के बाद बिरला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ किसी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। सदस्य अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं, कोई भी उस अधिकार को नहीं छीन सकता है, लेकिन यह संसद की मर्यादा के अनुसार होना चाहिए।’’ 

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