जेल से बाहर आए अरविंद केजरीवाल को कोर्ट से मिला झटका

आबकारी घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी के समन को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दो याचिकाएं राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने खारिज कर दीं। विशेष न्यायाधीश राकेश स्याल ने केजरीवाल द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार हैं।

केजरीवाल ने मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश के खिलाफ सत्र अदालत का रुख किया था, जिसमें उन्हें ईडी की शिकायत पर उसके समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया था।

समन नजरअंदार करने पर हो मुकदमा

केजरीवाल ने उन्हें जारी किए गए समन से बचने के लिए ईडी द्वारा दायर दो शिकायतों का संज्ञान लेने के बाद मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती दी थी। ईडी ने मजिस्ट्रियल अदालत के समक्ष शिकायतें दायर कर मांग की थी कि आबकारी नीति से जुड़े मामले में जारी किए गए कई समन को नजरअंदाज करने के लिए केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए।

केजरीवाल ने क्या दिया तर्क

केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने तर्क दिया था कि अरविंद केजरीवाल ने कोई अवज्ञा नहीं की थी। उन्होंने कहा था कि किसी व्यक्ति को तभी बुलाया जा सकता है, जब उसकी गैर-हाजिरी जानबूझकर हो।

हर समय का दिया था उत्तर

यह भी कहा कि इन शिकायतों को दर्ज करने से पहले आवेदक को ईडी द्वारा कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया था। रमेश गुप्ता ने तर्क दिया था कि केजरीवाल ने प्रत्येक समन का उत्तर दिया था और सूचित किया था कि वह जिम्मेदारी के कारण नहीं आ सके। उन्होंने कहा था कि उनके मुवक्किल एक लोक सेवक हैं और उन पर मुकदमा चलाने के लिए पूर्व मंजूरी की आवश्यकता थी, जो प्राप्त नहीं की गई थी।

9 सितंबर को बाहर आए केजरीवाल

नौ सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई मामले में जमानत मिलने के बाद केजरीवाल पांच महीने से अधिक समय के बाद तिहाड़ जेल से बाहर आ सके। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को पहले ही उनकी अपील याचिका लंबित रहने तक अंतरिम जमानत दे दी थी।

ईडी ने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पेश होने के लिए केजरीवाल को नौ समन जारी किए थे, लेकिन वह ईडी के सामने पेश नहीं हुए। इसके बाद ईडी ने अदालत का रुख किया था।

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