कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी (सीपीपी) की बैठक को संबोधित किया है. सीपीपी की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने पार्टी सांसदों को चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा. सोनिया गांधी ने ये भी कहा कि हवा का रुख हमारे पक्ष में है.
सोनिया गांधी ने कहा, अगर आने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में हम जीत गए तो उसका राष्ट्रीय राजनीति में विशेष प्रभाव पड़ेगा, इसलिए कमर कस लें. हवा का रुख हमारे पक्ष में है. उन्होंने कहा कि मैं हमारे दोनों LOP और हमारे सहयोगियों को बधाई देती हूं, जिन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान हमारी पार्टी के विचारों को जोरदार तरीके से व्यक्त किया. पिछले कुछ दिनों में जब तत्काल आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने की बात आती है तो आप में से कई लोगों ने बजट की कई अपर्याप्तताओं को बहुत प्रभावी ढंग से सामने रखा.
सरकार पर बोला हमला
कांग्रेस नेता ने कहा कि किसानों और विशेषकर युवाओं की ज्वलंत मांगों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है. प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और अन्य लोगों द्वारा बजट और इसकी तथाकथित उपलब्धियों के बारे में बात करने के बावजूद व्यापक निराशा हुई है. अपने संबोधन में सोनिया गांधी ने आगे कहा कि यह स्पष्ट है कि सरकार का जनगणना कराने का कोई इरादा नहीं है. यह हमें देश की जनसंख्या, विशेषकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या का नवीनतम अनुमान ल, गाने से रोक देगा. इसका मतलब यह भी है कि हमारे कम से कम 12 करोड़ नागरिक 2013 के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभ से वंचित हैं, जिसे अब पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के रूप में पुनर्निर्मित किया गया है.
‘उम्मीद थी सरकार सबक लेगी’
सोनिया गांधी ने आगे कहा कि हमें उम्मीद थी कि मोदी सरकार लोकसभा चुनावों के नतीजों से सबक लेगी. इसके बजाय, वे समुदायों को विभाजित करने और भय और शत्रुता का माहौल फैलाने की अपनी नीति पर कायम है. सौभाग्य से सुप्रीम कोर्ट ने सही समय पर हस्तक्षेप किया, लेकिन यह केवल एक अस्थायी राहत हो सकती है. देखिए कि कैसे नौकरशाही को आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति देने के लिए नियमों को अचानक बदल दिया गया है. यह खुद को एक सांस्कृतिक संगठन कहता है लेकिन पूरी दुनिया जानती है कि यह बीजेपी का राजनीतिक और वैचारिक आधार है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले वर्षों में शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई है. देश को आगे ले जाने के बजाय पूरी शिक्षा व्यवस्था को दोषपूर्ण बताया जा रहा है. युवाओं का भविष्य खतरे में है. एनसीईआरटी, यूजीसी और यहां तक कि यूपीएससी जैसी संस्थाओं की स्वायत्तता पूरी तरह से नष्ट हो गई है.