छठ पूजा:भाजपा और कांग्रेस ने केजरीवाल को घेरा

दिल्ली में इस बार भी सार्वजनिक स्थलों और नदी किनारे छठ मनाने की छठ पूजा नहीं की जा सकेगी। इसे लेकर अभी से सियासत तेज हो गई है।  कांग्रेस और भाजपा दोनों ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के इस फैसले की निंदा की है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा जारी एक आदेश में लोगों को अपने घरों में ही छठ पूजा मनाने की सलाह दी गई है। पिछले साल भी दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा पर रोक लगा दी गई थी।

कांग्रेस ने शनिवार को सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा की अनुमति नहीं देने के दिल्ली सरकार के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि 7 नवंबर को पूजा समारोह के लिए अनुमति दी जानी चाहिए

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (DPCC) के अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार को लोगों को दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा मनाने की अनुमति देनी चाहिए। जब ​​कुछ शर्तों के साथ रामलीला और दशहरा का आयोजन किया जा सकता है, तो छठ पूजा भी कोविड प्रोटोकॉल के साथ मनाई जा सकती है। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में… मकान मालिक एक किरायेदार को छठ पूजा मनाने की अनुमति देने में हिचकिचा सकता है। ऐसे में सरकार को लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर त्योहार मनाने की अनुमति देनी चाहिए। 

चौधरी ने कहा कि सरकार को लोगों को यमुना किनारे, बवाना मुनक (नहर) और भलस्वा झील पर खुले स्थानों पर छठ पूजा मनाने की अनुमति देनी चाहिए। लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए पूजा-अनुष्ठान कर सकते थे, लेकिन सरकार ने छठ पूजा के उत्सव पर प्रतिबंध लगा दिया है। 

कांग्रेस ने यह भी कहा कि दिल्ली में कांग्रेस के शासन के दौरान तत्कालीन सरकार ने इस तरह के अनुष्ठान करने की अनुमति दी थी, लेकिन मौजूदा सरकार पूर्वांचलियों को धोखा दे रही है और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर रही है।

केजरीवाल सरकार ने लाखों पूर्वांचलियों का अपमान किया : मनोज तिवारी

वहीं, भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी में छठ पूजा पर प्रतिबंध लगाकर दिल्ली के लाखों पूर्वांचलियों का अपमान किया है। छठ पूजा समितियों के साथ अपने आवास पर बैठक के दौरान तिवारी ने कहा कि अगर प्रतिबंध नहीं हटाया गया तो उन्हें पूर्वांचलियों (दिल्ली में बसे बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग) के साथ बड़े पैमाने पर विरोध करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

तिवारी ने समितियों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि छठ पर इस प्रतिबंध के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में लाखों पूर्वांचलियों का अपमान किया है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि अधिकारियों को घाटों (नदी के किनारे और तालाब) पर छठ पूजा की अनुमति देनी चाहिए, उन्होंने कहा कि अगर लोगों को त्योहार मनाने से रोका गया तो प्रतिबंध की अवहेलना की जाएगी।

उनके हवाले से एक बयान में कहा गया है, “अगर बाजार खुले हैं, सार्वजनिक परिवहन की बसें और मेट्रो ट्रेनें, थियेटर, शराब की दुकानें खोली जा सकती हैं, तो सरकार छठ पूजा पर प्रतिबंध लगाकर पूर्वांचलियों की भावनाओं के साथ क्यों खेल रही है।

दिल्ली में सार्वजनिक स्थलों और नदी के किनारे छठ मनाने पर रोक

दिल्ली में इस साल भी सार्वजनिक स्थानों और नदी के किनारे छठ का त्योहार मनाने की अनुमति नहीं होगी। हालांकि, रामलीला और दुर्गा पूजा जैसे त्योहारों के लिए बड़ी संख्या में लोगों के जमा और समारोह के लिए पांबदियों में ढील दी गई है। डीडीएमए ने गुरुवार को बताया था कि नए कोविड-19 दिशानिर्देश में हालांकि कहा गया है कि बड़ी संख्या में लोगों के जमा होने और समारोह के लिए नियमों में ढील त्योहार मनाने के लिए केवल 15 नवंबर तक दी गई है।

दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव ने आधिकारिक आदेश में कहा कि दिल्ली में त्योहारों के दौरान प्रदर्शनी, मेला, खाने-पीने की दुकानें, झूला, रैली और जुलूस निकालने की अनुमति नहीं होगी। सार्वजनिक स्थानों, नदी के तटों, घाट और मंदिर पर छठ मनाने की भी अनुमति नहीं दी जाएगी और लोगों को सलाह दी जाती है कि वे इस त्योहार को अपने घर में ही मनाएं। आदेश में कहा गया है कि उत्सव समारोह मनाने के लिए सभी आयोजकों को पूर्व में ही संबंधित जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। जिलाधिकारी या प्राधिकारी कंटेनमेंट जोन में कोई भी कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं देंगे।

डीडीएमए ने कहा कि अनुमति इलाके के थाना प्रभारी, कार्यकारी मजिस्ट्रेट और नगर निगम के लाइसेंसिंग निरीक्षक के संयुक्त निरीक्षण के आधार पर दी जानी चाहिए। यह स्पष्ट रूप से प्रमाणित किया जाना चाहिए कि उत्सव मनाने का स्थान कार्यक्रम के लिए उपयुक्त है और सभी अर्हताओं को पूरा करता है।

आदेश में कहा गया कि सबंधित जिलाधिकारी और जिले के पुलिस उपायुक्त उचित वरिष्ठता के आधार पर प्रत्येक रामलीला स्थल और पूजा पंडाल आदि के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे। डीडीएमए ने कहा कि नोडल अधिकारी इस आदेश और समय-समय पर कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए जारी दिशानिर्देशों और मानक परिचालन प्रक्रिया का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए जिम्मेदार होंगे।

आदेश में कहा गया कि यह आयोजकों के लिए अनिवार्य होगा कि वे दैनिक आधार पर कार्यक्रम शुरू होने से लेकर संपन्न होने तक वीडियोग्राफी कराएं। इसमें कहा गया कि कार्यक्रम संपन्न होने के तीन घंटे के भीतर आयोजक असंपादित वीडियो की सॉफ्ट प्रति और प्रमाणपत्र नोडल अधिकारी के पास जमा कराएंगे, जिसमें उल्लेख करना होगा कि उन्होंनें केंद्र और दिल्ली सरकार द्वारा जारी एसओपी का उल्लंघन नहीं किया है।

डीडीएमए ने कहा कि नोडल अधिकारी रोजाना वीडियो की समीक्षा करेगा और नियमों का उल्लंघन होने पर संबंधित जिलाधिकारी और पुलिस उपायुक्त को सूचित करेगा और उसके आधार पर बाकी दिनों के लिए कार्यक्रम को आयोजित करने की अनुमति वापस ले ली जाएगी। डीडीएमए ने स्पष्ट किया किसी भी उत्सव में लोगों को खड़े होने या जमीन पर बैठने की अनुमति नहीं होगी और केवल कुर्सियों की व्यवस्था होने और सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करने पर ही कार्यक्रम की अनुमति दी जाएगी।

डीडीएमए ने कहा कि कार्यस्थल की क्षमता का निर्धारण वहां मौजूद स्थान और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम के आधार पर किया जाएगा। बंद स्थान पर सभागार की क्षमता के अधिकतम 50 प्रतिशत लोगों को एक समय पर रहने की अनुमति होगी, जबकि खुले स्थान पर आयोजित कार्यक्रम के लिए क्षमता का निर्धारण मैदान के आकार और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों अनुपालन के आधार पर होगा।

गौरतलब है कि अक्टूबर में नवरात्र के साथ ही त्योहारों का मौसम शुरू होगा और इसी दौरान दुर्गा पूजा होगी। दशहरा इस साल 15 अक्टूबर को है जबकि दिवाली चार नवंबर को है। छठ पूजा इस साल 10 नवंबर को है। 

छठ पूजा पूर्वांचलियों के बीच बेहद लोकप्रिय है। दिवाली के बाद मनाया जाने वाला यह पर्व चार दिनों तक चलने वाला अनुष्ठान है और अंतिम दो दिनों में महिलाएं नदियों और तालाबों के गहरे पानी में सूर्य देव को प्रसाद के रूप में अर्पित करती हैं। पूर्वांचलियों में दिल्ली में मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा है और उनसे जुड़े मुद्दे राजनीतिक दलों के लिए पसंदीदा रैली स्थल रहे हैं।

महामारी से पहले के समय में, ‘आप’ सरकार और भाजपा शासित नगर निगमों दोनों ने छठ घाट तैयार करने और भक्तों के लिए अन्य सुविधाएं सुनिश्चित करने पर महत्वपूर्ण राशि खर्च की थी।

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