नई दिल्ली। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार 53 फास्ट-ट्रैक विशेष न्यायालय स्थापित करने जा रही है। इसके लिए न्यायिक अधिकारियों और सहायक कर्मियों की नियुक्ति जल्द की जाएगी, साथ ही आवश्यक भवन और संसाधन भी तैयार किए जाएंगे।
वर्तमान में दिल्ली में केवल 16 अस्थायी फास्ट-ट्रैक न्यायालय कार्यरत हैं, जो राजधानी की जनसंख्या और अपराध की संख्या को देखते हुए पर्याप्त नहीं हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में महिलाओं से संबंधित अपराध अन्य महानगरों की तुलना में सबसे अधिक दर्ज किए जाते हैं।
महिला सुरक्षा पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अध्यक्षता में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में यह चर्चा हुई थी कि पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलने में लंबा समय लग रहा है। इस पर दिल्ली सरकार ने विधि विभाग के माध्यम से दिल्ली हाई कोर्ट से परामर्श किया। हाई कोर्ट ने लंबित मामलों और वित्त आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए 37 नए फास्ट-ट्रैक न्यायालय बनाने और मौजूदा 16 अस्थायी न्यायालयों को स्थायी न्यायालय में परिवर्तित करने की सलाह दी।
दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट की सिफारिश के आधार पर कुल 53 फास्ट-ट्रैक न्यायालय स्थापित करने का निर्णय लिया है। इन न्यायालयों में पाक्सो अधिनियम, 2012 और दुष्कर्म से संबंधित मामलों की सुनवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह कदम महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का संकेत है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला सशक्तिकरण तथा सुरक्षित भारत के विजन को भी मजबूत करेगा।
इस योजना के तहत प्रत्येक फास्ट-ट्रैक अदालत में एक न्यायिक अधिकारी और सात सदस्यीय सहायक कर्मियों की तैनाती होगी। केंद्रीय न्याय विभाग ने यौन अपराधों से जुड़े मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए देशभर में ऐसे फास्ट-ट्रैक न्यायालय स्थापित करने की केंद्र-प्रायोजित योजना भी लागू की है।