दो दिन से दातासिंह वाला बॉर्डर पर पूरा घमासान चल रहा है। मंगलवार को भी चार घंटे अफरा-तफरी का माहौल रहा। ऐसा ही हाल बुधवार को भी रहा। पुलिस बार-बार किसानों की तरफ आंसू गैस के गोले छोड़ रही थी और प्लास्टिक की गोलियां चला रही थी। किसान भी अपने साथ गीली बोरियां लेकर तैयार खड़े थे और आंसू गैस के गोलों पर डाल रहे थे।
इससे आंसू गैस के गोले शांत हो रहे थे। इसके अलावा कीटनाशकों का छिड़काव करने वाली टंकियों के माध्यम से पानी का छिड़काव भी कर रहे थे। ड्रोन की तरफ भी पानी का छिड़काव किया जा रहा था। जहां ड्रोन दिखाई दे रहा था, वहां पर पतंग उड़ाकर उसका पीछा किया जा रहा था। इससे पुलिस कर्मचारी ड्रोन को वापस ले रहे थे। चार घंटे तक पूरा माहौल गर्म रहा।
मंगलवार की घटना से सबक लेकर बुधवार को किसान पहले ही पूरी तरह से तैयार हो गए थे।
पहले किसानों ने आंसू गैस के गोलों से निपटने के लिए अपनी रणनीति बनाई और जूट की बोरियां मंगवाकर उनको पानी में भिगो लिया। इसके बाद इन बोरियों को लेकर किसान आगे बढ़ने लगे। इसके साथ ही ट्रैक्टरों पर पानी से भरी टंकियां भी रख लीं और उससे फव्वारा बनाकर आंसू गैस के गोलों की तरफ छोड़ने लगे।

जब भी कोई आंसू गैस का गोला नीचे गिरता तो किसान उस पर तुरंत गीली बोरियां डाल देते। जब आसमान में ड्रोन आते तो किसान उसकी तरफ पतंग उड़ाने लग जाते। जब ड्रोन की तरफ किसान पतंग उड़ाते तो पुलिस अपने ड्रोन को पीछे खींच लेती। जब पुलिस के ड्रोन और आंसू गैस के गोले नाकामयाब होते तो पुलिस ने लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया।
पुलिस कर्मचारियों पर मिर्ची पाउडर का किया छिड़काव
किसानों ने पुलिस से बचने के लिए एक और तरीका अपनाया। उन्होंने एक टंकी में मिर्ची पाउडर भरा और उस पर मोटर लगाकर पुलिस कर्मचारियों की तरफ फेंकना शुरू कर दिया। इससे पुलिस कर्मचारियों को काफी परेशानी हुई और उन्होंने लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया।
हमारे ही खेत और हमें ही मार रहे लठ
दातासिंह वाला बोर्डर पर मौजूद जिन किसानों के खेत हैं, उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस द्वारा इन किसानों को खेतों में जाने नहीं दिया जा रहा है। जैसे ही किसान अपने खेतों की तरफ रुख करते हैं तो पुलिस प्रशासन द्वारा लाठियां बरसा कर उन्हें भगा दिया जाता है। ऐसे में किसानों का कहना है कि हमारे ही खेत हैं और हमें ही लठ मारे जा रहे हैं।
जींद में होने वाली खापों की बैठक में होगा काफी कुछ तय
फिलहाल हरियाणा और हमेशा किसान आंदोलन की रीढ़ कहे जाने वाले जींद के किसान इस आंदोलन से दूर हैं। छात्तर गांव में किसानों ने ट्रैक्टर की सूची बना ली है और आंदोलन में कूदने की तैयारी कर ली है। वहीं वीरवार को जाट धर्मशाला में जिले की कई खापाें की बैठक होगी। इसमें किसान आंदोलन को लेकर भी विचार किया जाएगा। इस बैठक में तय होगा कि जींद के किसान इस आंदोलन का हिस्सा बनेंगे या नहीं।
प्रशासन से मिलने गए किसान प्रतिनिधिमंडल की गाड़ी तोड़ी
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य आजाद पालवां ने कहा कि वह लोग दोपहर 1 बजे के आसपास नरवाना में डीसी और एसपी के बुलावे पर गए थे। उन्होंने प्रशासन के सामने यह बात रखी कि वह पंजाब के किसान भाइयों के साथ ज्यादती कर रहे हैं। उनका समर्थन किसानों के साथ है। पालवां ने कहा कि प्रशासन ने उनकी गाड़ी तोड़ दी। उनकी अन्य किसान संगठनों के साथ बातचीत चल रही है। वीरवार को यह तय हो जाएगा कि वह इस आंदोलन का हिस्सा बनेंगे या नहीं।