दिल्ली में किसानों ने वित्त मंत्री को बताई समस्याएं, भाकियू प्रतिनिधि भी पहुंचे

 नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को नई दिल्ली में विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और प्रमुख कृषि अर्थशास्त्रियों के साथ दूसरी बजट पूर्व परामर्श बैठक की। निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में यह बैठक केंद्रीय बजट 2025-26 की तैयारियों के तहत हुई। इस बैठक में किसान और कृषि उद्योग से जुड़े करीब 19 लोगों ने हिस्सा लिया। वित्त सचिव, कृषि सचिव भी मौजूद रहे। देश के किसानों और भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के प्रतिनिधि के तौर पर राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने हिस्सा लिया। 

वित्त मंत्री ने किसानों की बात सुनी 
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने किसानों की बात गंभीरता से सुनी और कृषि उपकरणों, खेती में इस्तेमाल होने वाले इनपुट को जीएसटी मुक्त करने और क्रेडिट कार्ड पर छूट की सीमा बढ़ाने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कई विषयों पर काम करने का आश्वासन दिया। उन्होंने वित्त मंत्री को समस्याओं से अगवत कराते हुए कहा कि आज भी देश के निजी क्षेत्र में सबसे ज्यादा रोजगार कृषि क्षेत्र से है, लेकिन यह क्षेत्र लंबे समय से उपेक्षा का शिकार रहा है। किसान वित्त मंत्री से खेती को आसान बनाने के लिए कम से कम 5000 छोटे-बड़े कदम उठाने का आग्रह करता है, जैसे खाद, बीज, दवा, बिजली, मजदूर आदि का समय पर न मिलना, जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियाँ, फसलों की उत्पादन लागत में वृद्धि, भंडारण, मंडियों का निर्माण आदि। भारत के किसान परिवर्तनकारी नीति के लिए बजट का उसी तरह इंतजार करते हैं जैसे मानसून का इंतजार करते हैं। 

एमएसपी की वर्तमान प्रणाली में दोष
उन्होंने बताया कि पिछले तीन दशकों से किसान नीति सुधार की प्रक्रिया को गति मिलने का इंतजार कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक द्वारा देश भर के किसानों की समस्याओं पर सुझाव दिए गए हैं। जिनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागत C2 का डेढ़ गुना तय किया जाना चाहिए। क्योंकि A2+FL और C2 में काफी अंतर है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की वर्तमान प्रणाली कृषि उपज की उत्पादन लागत को कवर करने में विफल रहती है न्यूनतम समर्थन मूल्य की गणना वर्तमान बाजार सूचकांक की समीक्षा के आधार पर की जानी चाहिए, जिसमें भूमि किराया, किसान मजदूरी, परिवार मजदूरी, कृषि निवेश, उत्पादन की उचित लागत आदि जैसे कारक शामिल होने चाहिए। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एमएसपी तय करते समय, फसल कटाई के बाद के कार्यों में होने वाले खर्च और नुकसान जैसे सफाई खर्च, ग्रेडिंग खर्च, पैकेजिंग खर्च, परिवहन खर्च, सरकार द्वारा अपने कृषि उत्पाद को खुले बाजार में बेचने के कारण कीमतों में गिरावट का जोखिम, प्राकृतिक आपदा जोखिम, निर्यात प्रतिबंध जोखिम और आयात-निर्यात के साथ-साथ ऐसे सभी जोखिमों को भी एमएसपी तय करते समय शामिल किया जाना चाहिए।

इन फसलों को एमएसपी के दायरे में लाएं
उन्होंने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत होने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित फसलों का न्यूनतम विक्रय मूल्य उसी प्रकार तय किया जाए, जिस प्रकार केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 की उपधारा (2) के खंड (सी) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चीनी मूल्य (नियंत्रण) आदेश, 2018 को अधिसूचित कर चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य तय किया था।किसी भी परिस्थिति में कृषि उत्पादों का आयात न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए। तथा न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) केवल आपातकालीन स्थितियों में ही लगाया जाना चाहिए। सभी प्रमुख फसलों, मुख्य फलों एवं सब्जियों, दूध एवं शहद आदि को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाया जाना चाहिए। जिन फसलों का एमएसपी तय नहीं है, उनके लिए बाजार हस्तक्षेप योजना को प्रभावी बनाया जाना चाहिए। क्योंकि केंद्र एवं राज्यों के बीच का मामला होने के कारण योजना के क्रियान्वयन में देरी होती है या योजना का क्रियान्वयन ही नहीं हो पाता है।

पीएम-किसान किस्त की राशि हो 12 हजार रुपये 
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में छोटे किसानों के लिए बीमा प्रीमियम शून्य होना चाहिए, ताकि वे बीमा योजना का लाभ उठा सकें। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान को हर फसल में एक इकाई माना जाए तथा वास्तविक नुकसान की भरपाई की जाए। पीएम-किसान किस्त की राशि मौजूदा 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये सालाना की जाए। कृषि क्षेत्र को घाटे से उबारने के लिए दीर्घकालिक ऋण की जरूरत है। आज किसान एक ऋण चुकाने के लिए दूसरा ऋण ले रहे हैं। जो किसान कृषि ऋण तथा कृषि उपकरण ऋण समय पर चुकाते हैं, उन्हें 1% ब्याज दर दी जाए। 

कृषि को संविधान की सातवीं अनुसूची में करें शामिल 
किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत किसानों को चार साल तक केवल ब्याज जमा करने की सुविधा दी जाए तथा पांचवें साल में एक बार मूलधन और ब्याज दोनों जमा करने की सुविधा दी जाए। पिछले 15 वर्षों से किसान क्रेडिट कार्ड पर तीन लाख तक की सीमा पर 3% की। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के लिए कृषि आधारित उद्योग एवं लघु उद्योगों की स्थापना के साथ-साथ उनके उत्पादों की बिक्री के साथ-साथ उन्हें संरक्षण दिया जाए। कृषि को संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची में शामिल किया जाए।

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