दिल्ली में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। इस दौरान विदेश मंत्री ने ईरान के दिंवगत राष्ट्रपति और विदेश मंत्री को भी याद किया। उन्होंने चाबहार बंदरगाह के समझौते को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भारत पिछले 20 वर्षों से चाबहार पर समझौते के प्रयास कर रहा था। 20 वर्षों की इस कोशिश का परिणाम हाल ही में ईरान के साथ समझौते के साथ देखने को मिला।
ईरान के दिवंगत नेताओं को किया याद
डॉ.एस. जयशकंर ने कहा ‘ईरान की ओर से कई समस्याओं थीं और इस वजह से भारत को अल्पकालिक समझौता मिल सकता था लेकिन ईरान के दो शीर्ष दिवंगत नेताओं का धन्यवाद, जिनकी हेलीकॉप्टर हादसे में मृत्यु हो गई। ईरान के दिवंगत राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की वजह से हम दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर कर पाए।’ विदेश मंत्री ने कहा कि चाबहार बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विश्व को जोड़ने वाला एक बड़ा कॉरिडोर है। इस वजह से विश्व के केंद्र में भारत की स्थिति मजबूत होगी और हमें फायदा होगा।
‘आने वाला समय कठिन हो सकता है’
भारत की विदेश नीति में संभावित बदलाव पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि हम सभी को उम्मीद है कि आने वाला समय बहुत कठिन हो सकता है। उन्होंने कहा ‘किसी को उम्मीद नहीं थी कि यूक्रेन में युद्ध होगा और इस युद्ध का कोई अंत नहीं दिख रहा। किसी को उम्मीद नहीं थी कि अक्टूबर में इजराइल पर हमला होगा। इस युद्ध को भी छह महीने से ज्यादा समय हो चुका है। भारत का मानना है कि दुनिया में शांति की आवश्यकता है।
विदेश मंत्री ने कहा ’पांच या दस साल पहले जब मैं विश्वविद्यालय जाता था, तो वे मुझसे उन छात्रों से मिलने के लिए कहा जाता था, जो स्वर्ण पदक विजेता थे। अब मुझे ऐसे छात्रों से मिलना है जिनके पास पेटेंट और स्टार्टअप हैं। इन छात्रों ने कुछ ऐसा किया है जो रोजगार, प्रौद्योगिकी, प्रगति के लिए प्रासंगिक है।