मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने विशेष लोक अदालत के स्मरणोत्सव समारोह को संबोधित किया। उन्होंने लोक अदालतों के महत्व पर प्रकाश डाला। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया वादियों के लिए सजा बन जाती है। इस वजह से वह अक्सर अपने कानूनी अधिकारों से भी कम कीमत पर समझौता स्वीकार करने को तैयार हो जाते हैं। लोग थकाऊ मुकदमेबाजी को खत्म कर समझौते की तलाश करते हैं।
लोग मुकदमेबाजी से बाहर निकलना चाहते
सीजेआई ने विशेष लोक अदालत में निपटाए गए कई मामलों का हवाला भी दिया। उन्होंने एक मोटर दुर्घटना मामले का जिक्र किया और बताया कि दावेदार बढ़े हुए मुआवजे का हकदार होने के बावजूद कम मुआवजे पर मामला निपटाने को तैयार था।
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पक्षकार किसी भी प्रकार के समझौते को स्वीकार करने को तैयार होते हैं, क्योंकि वे इस मुकदमेबाजी से बाहर निकलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया को संस्थागत बनाने की आवश्यकता है।
मध्यस्थता भारतीय संस्कृति का हिस्सा
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। भगवान कृष्ण ने महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच मध्यस्थता करने का प्रयास किया था।
920 मामलों को हुआ निपटारा
शीर्ष अदालत ने विशेष लोक अदालत सप्ताह के उपलक्ष्य में शनिवार को स्मरणोत्सव समारोह का आयोजन किया। 29 जुलाई से दो अगस्त तक विशेष अदालतों का आयोजन किया गया। विशेष लोक अदालत में सुनवाई के लिए कुल 14,045 मामलों को चुना गया था। वहीं लोक अदालत पीठों के समक्ष 4,883 मामले सूचीबद्ध किए गए थे। इनमें से 920 मामलों का निपटारा किया गया।