राकेश टिकैत ने दी फिर सरकार को धमकी

किसान आंदोलन को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। आंदोलन को शुरू हुए 26 नवंबर को एक साल पूरा हो रहा है। अब सवाल यह है कि आगे क्या होगा? जब राकेश टिकैत से यह सवाल पूछा जाता है कि आंदोलन स्थलों पर भीड़ कम हो रही है तो वे कहते हैं कि भीड़ कम नहीं है। किसान को छूकर देख लें, उसके साथ छेड़छाड़ होने दें, फिर देखना भीड़। हम जानते हैं कि सरकार हर बार झूठ का सहारा लेती रही है। किसानों ने केंद्र सरकार को सख्त लहजे में चेतावनी दे दी है कि 26 नवंबर तक इस मामले में कोई अंतिम फैसला ले, अन्यथा वे दोबारा से टेंटों की मरम्मत करना शुरू कर देंगे। 

टिकैत ने दिया यह संकेत
टिकैत का इशारा था कि आंदोलन स्थलों पर जो टेंट फट गए हैं, उन्हें दोबारा से ठीक कराएंगे। भारी संख्या में किसान जुटेंगे। सरकार हमारे ट्रैक्टरों को दिल्ली में घुसने से रोक रही है। किसान पूछते हैं ऐसा क्यों? हमारे ट्रैक्टर अफगानिस्तान या सीरिया से नहीं आए हैं। वे तो दिल्ली ही जाएंगे। 

रास्ता रोकने के लिए सरकार को ठहराया जिम्मेदार
बतौर राकेश टिकैत, सरकार का एक बड़ा झूठ तो हाल ही में सामने आया है। रास्ता किसने रोक कर रखा था। अब तो देश के लोगों को भी ये बात पता चल गई है। किसानों ने कभी कोई रास्ता नहीं रोका। अगर राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हुए तो वे सरकार ने किए थे। केंद्र ने किसानों का रास्ता रोकने के लिए सड़क पर अवरोध लगा दिए। कई लोगों की ऐसी सोच है कि किसान आंदोलन कमजोर पड़ गया है। ऐसा नहीं है। किसान अपने घरों में तैयार बैठे हैं। जैसे ही कॉल जाएगी, वह आंदोलन स्थल के लिए चल पड़ेगा। किसान, अब सरकार के बहकावे में नहीं आएंगे। किसी चिट्ठी पत्री से काम नहीं चलेगा। आमने-सामने बैठकर ही बात होगी। 

पांच साल भी चल सकता है आंदोलन
केंद्र सरकार और किसान आंदोलन के बीच जारी मौजूदा स्थिति के मद्देनजर जब राकेश टिकैत से पूछा गया कि आंदोलन आखिर कितना लंबा चलेगा। टिकैत का कहना था, सरकार जब पांच साल चल सकती है तो किसान आंदोलन भी पांच साल तक बढ़ सकता है। किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं। केंद्र सरकार ने किसानों के साथ जो धोखा किया है, उसे ‘प्रसाद’ मिल रहा है। उपचुनावों में ‘किसान’ एक मुद्दा रहा है। आगामी चुनावों में भाजपा को सबक मिलेगा। 

सरकार दे रही झूठे शपथ पत्र
राकेश टिकैत ने कहा, सरकार ने कोर्ट को भी धोखा दिया है। वहां झूठे शपथ पत्र देकर कहा जाता है कि किसानों ने रास्ता बंद किया है। जो सरकार, अदालत में झूठ बोल सकती है, किसान उस पर भरोसा कैसे करें। अभी तक सरकार के साथ जितनी भी बैठकें हुई, उनमें मंत्रियों ने कभी साफ मन से बात नहीं की। सरकार का प्रयास, केवल आंदोलन को खत्म करने पर रहा, किसानों की मांगों को लेकर केंद्र में कभी सार्थक बातचीत नहीं की। केंद्र के मन में खोट है, इसीलिए यह मामला लंबा खिंच रहा है।

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