दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) के मंत्री और विधायक इमरान हुसैन को बड़ी राहत देते हुए उन पर ऑक्सीजन सिलेंडर की जमाखोरी का आरोप लगाने वाली याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने माना हुसैन ने सिलेंडर किराये पर लिए और ऑक्सीजन खरीदकर जरूरतमंद लोगों में बांटे थे।
जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की बेंच ने हुसैन से कहा कि आप यदि कुछ अच्छा कर रहे हैं तो करते रहिए, कोर्ट आपको नहीं रोक रही। कोर्ट ने कहा कि हम लोगों को कोर्ट आने से नहीं रोक सकते। हुसैन ने कहा कि जमाखोरी को लेकर उनका नाम अखबार के पहले पन्नों पर आया, उन्हें बदनाम करने के लिए याचिका दाखिल की गई थी। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हुसैन के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध में याचिका दाखिल की गई है।
इमरान हुसैन ने हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए एमिकस क्यूरी को वो सभी बिल दिखाए, जिसमें उन्होंने 10 ऑक्सीजन सिलेंडर किराये पर लिए थे और फिर उन्हें भरवा कर आम लोगों में बांटा था।
याचिका में इमरान हुसैन पर अवमानना की कार्यवाही करने की मांग की गई थी, लेकिन हुसैन की तरफ से बताया गया कि उन्होंने ऑक्सीजन दिल्ली से नहीं ली बल्कि पड़ोसी राज्य हरियाणा से किसी तरह अरेंज करके अपने विधानसभा क्षेत्र के आम लोगों तक पहुंचाई। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में उन्हें वह दस्तावेज और बिल दिखाने के लिए निर्देश दिए थे, जिससे यह साफ हो सके कि ऑक्सीजन हरियाणा से मंगाई गई। इमरान हुसैन की तरफ से यह तमाम चीजें कोर्ट के द्वारा नियुक्त किए गए एमिकस क्यूरी राजशेखर राव के सामने पेश की गई।
हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि मौजूदा याचिका की वजह से दिल्ली सरकार में मंत्री हुसैन की छवि खराब हुई है जो कि महामारी के दौरान अपने खर्चे पर जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे थे। मेहरा ने कहा कि इस तरह की याचिका समाज में लोगों के भलाई के लिए अच्छा काम करने से किसी व्यक्ति को रोकती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में कथित तौर पर उचित शोध किए बिना ऐसी याचिका दाखिल करने वाले लोगों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। मेहरा ने बेंच को बताया कि सिर्फ एक राजनीतिक दल के लोगों के खिलाफ ऐसी याचिका क्यों दाखिल की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि यह याचिका राजनीतिक प्रतिशोध के लिए दाखिल की गईं। मेहरा ने कहा कि इस तरह की याचिका जिनमें मुकदमा दर्ज करने की मांग हो, उन पर विचार करने के बजाय पहले मजिस्ट्रेट के पास भेजा जाना चाहिए।
इमरान हुसैन के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले वेदांश शर्मा के वकील ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि उनका किसी भी राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, हाईकोर्ट ने मेहरा की दलीलों को स्वीकार करने से इनकार करते कहा कि वह लोगों को कोर्ट में आने से नहीं रोकेगी और न ही उनके मन में डर पैदा करेगी। कोर्ट में याचिका दाखिल कर वेदांश शर्मा ने हुसैन पर ऑक्सीजन की जमाखोरी करने का आरोप लगाया था। इस पर हाईकोर्ट ने ‘आप’ विधायक को नोटिस जारी कर तलब किया था। इस मामले में विधायक ने 10 मई को बेंच को बताया था कि वह निजी खर्चे पर फरीदाबाद से ऑक्सीजन खरीदकर जरूरतमंद कोरोना संक्रमित मरीजों में बांट रहे हैं। इस कोर्ट ने उनसे कागज दिखाने को कहा था।
‘आप’ विधायक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने बेंच को बताया कि उनके मुवक्किल के निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को उनके (हुसैन) अच्छे प्रयासों से वंचित किया गया। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल का नाम अखबारों के पहले पन्ने पर था।
बता दें कि, दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि कोरोना काल में इमरान हुसैन ऑक्सीजन की कालाबाजारी कर रहे हैं और सरकार से ऑक्सीजन लेकर उसे आम लोगों में बांट रहे हैं।