दिल्ली के मेडिकल कालेज में छात्रों के लिए लागू किए जा रहे 15 से 20 लाख रुपये के बॉन्ड के खिलाफ डॉक्टरों ने मोर्चा खोल दिया है। डॉक्टरों का कहना है कि इस शर्त को वापस लिया जाना चाहिए। यदि इसे वापस नहीं लिया गया तो वह विरोध करेंगे। डॉक्टरों का कहना है कि यहां एमबीबीएस और स्नातकोत्तर करने वाले मेडिकल छात्र दिल्ली में काम करने की इच्छा रखते हैं फिर उनपर यह शर्त लगाने की जरुरत नहीं है। स्वास्थ्य विभाग ने बॉन्ड को लेकर गलत आदेश दिया है। इससे छात्रों पर मानसिक बोझ बढ़ेगा।
बॉन्ड को लेकर आदेश जारी होने पर फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (फाइमा) और फेडरेशन आफ रेसिडेंट डाक्टर एसोसिएशन (फोर्डा) ने एलजी से इस इस आदेश को वापस लेने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के मेडिकल कालेज से एमबीबीएस और मेडिकल स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों को दिल्ली सरकार के अस्पतालों में एक वर्ष सेवा देना अनिवार्य किया गया है। इसमें कहा गया है कि छात्रों को दिल्ली के मेडिकल कालेजों में नामांकन के समय ही 15 से 20 लाख का बॉन्ड भर कर देना होगा। एक साल की दिल्ली में सेवा का विकल्प चयन करने पर यह रद्द हो जाएगा।
डॉ. अविरल माथुर ने कहा हम आदेश की निंदा करते हैं। भारत के करीब 20 राज्यों में आदेश लागू है। दिल्ली में लागू होने पर दूसरे राज्य भी इसे लागू कर देंगे। उन्होंने कहा दिल्ली से डाक्टर बाहर नहीं जाते हैं, यहां पढ़ने और बेहतर कार्य की तलाश में आते हैं। डाक्टरों की यहां कमी नहीं है। नेशनल मेडिकल कमीशन ने पिछले महीने जो गाइडलाइन निकाली थी, उसमें बांड को वापस लेना भी शामिल था। फाइमा के पूर्व अध्यक्ष डा. रोहन कृष्णन ने भी इसे हटाने की मांग रखी है।