कृषि मंत्री के बयान पर बोले टिकैत- बिना शर्त हो बात, सरकार चाहे तो लाठी-डंडे से भगा दे

कृषि कानूनों (Farm Law) के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) एक बार फिर चर्चा में है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बीते दिन बयान दिया कि सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी, लेकिन आंदोलनकारी किसानों के साथ बातचीत को तैयार है. अब किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने इस मसले पर बयान दिया है, राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार चाहे लाठी-डंडे का इस्तेमाल करे, लेकिन जो भी बात होगी वो बिना किसी कंडीशन के होगी. 

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार का जो ताज़ा प्रस्ताव आया है, वो शर्तों के साथ आया है. सरकार बात करने को कह रही है, लेकिन ये भी कह दिया कि कानून वापस नहीं होगा. हमने कोई शर्त नहीं लगाई है, अगर कानून वापसी पर चर्चा होती है तो हम बातचीत शुरू करना चाहते हैं. 

राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि हम आठ महीने से आर-पार के मूड में ही बैठे हैं, जो जिस भाषा में आर-पार समझता हो, वही समझे. हम तो कह रहे हैं कि हम शांति से बैठे हैं, हमें छेड़ो नहीं और सरकार कह रही है कि यहां से चले जाओ. लेकिन अगर हम जाएंगे तो बातचीत से, नहीं तो लाठी-डंडे-गोली जिससे सरकार भगाना चाहे भगा दे. 

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसी पार्टी की होती तो जरूर बात करती, लेकिन सरकार को कंपनियां चला रही हैं और देश को लूटने का प्लान कर रही हैं. देश की जनता को सड़क पर निकलना होगा और लुटेरों को भगाना होगा, यह आखिरी बादशाह साबित होगा.

राकेश टिकैत ने मोदी सरकार (Modi Government) के नए प्रस्ताव पर कहा कि एक लाख करोड़ की तो ठग विद्या है, हम तो बस यह कह रहे हैं कि हमें भाव दे दो, एक लाख करोड़ जहां खर्च करना है कर लेना. लेकिन जब हमें भाव नहीं दे रहे हैं तो एक लाख करोड़ का क्या मतलब है.

भारतीय किसान यूनियन (BKU) द्वारा गुरुवार को इस बात का भी ऐलान किया गया है कि अगस्त महीने से उनके द्वारा उत्तर प्रदेश में जिलावार आंदोलन की शुरुआत होगी. इस आंदोलन में उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की दिक्कतें, महंगी बिजली समेत अन्य कई मसलों को जोर-शोर से उठाया जाएगा. 

राकेश टिकैत के मुताबिक, 11 जुलाई को किसानों की एक बड़ी बैठक होगी जिसमें इस आंदोलन की रूप-रेखा को तय किया जाएगा. एक अगस्त से इस आंदोलन को बल देने की कोशिश है. 

गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब एक साल से किसानों का आंदोलन चल रहा है. दिल्ली के गाजीपुर, सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान डटे हुए हैं. भारत सरकार और किसानों के बीच कई दौर की चर्चा भी हुई, लेकिन कोई बात नहीं बन पाई. 

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