नई दिल्ली। पत्नी की गैर मौजूदगी में अदालत द्वारा मंजूर किया तलाक मान्य नहीं है। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के एक फैसले को पलटते हुए कहा कि भले ही कोविड-19 महामारी के चलते पत्नी अदालत में पेश नहीं हो सकी, लेकिन निचली अदालत को हाई कोर्ट के आदेश की पालना करनी चाहिए थी।
कोरोना की वजह से अदालतों में काम बंद थे और लोगों का आना-जाना भी नहीं हो पा रहा था, इस वजह से सुनवाई के लिए पत््नी अदालत में पेश नहीं हो सकी। कई जगहों पर तो कोरोना के दौरान अदालतों में सुनवाई तक बंद थी। वहां पर इंटरनेट जैसी सुविधाओं का भी अभाव बना हुआ था। अभी भी कोरट में कामकाज पुराने तरीके से नहीं शुरू हो सके हैं। इस वजह से कई मामलों में सुनवाई भी नहीं हो पा रही है। अदालत ने उस दौरान के समय को देखते हुए ये फैसला सुनाया।
जिसमें कहा गया था कि महामारी के दौरान अदालतें कोई ऐसा आदेश पारित नहीं करेंगी, जिसमें दोनों पक्षों की मौजूदगी न हो। हाई कोर्ट ने 24 सितंबर 2020 को पटियाला हाउस की परिवार विवाद अदालत द्वारा पति की अर्जी पर मंजूर किए गए तलाक पर रोक लगाने के साथ ही कहा कि यह निचली अदालत ने जहां इस केस को छोड़ा था, वहीं से फिर सुनना होगा।
फरवरी 2013 में दोनों परिवारों की रजामंदी से हुई शादी से एक बच्चा भी है। लेकिन मार्च 2013 से पति-पत्नी अलग रह रहे हैं। पति ने परिवार विवाद अदालत में क्रूरता के आधार पर तलाक का केस दायर किया था। इस पर सुनवाई के दौरान पिछले साल 16 मार्च को पत्नी अदालत में पेश नहीं हुई और अदालत ने सितंबर 2020 में तलाक की अर्जी मंजूर कर दी थी। इस फैसले को पत्नी ने हाई कोर्ट में चुनौती देकर कहा था कि इस तरह से सिर्फ एक पक्ष को सुनकर फैसला नहीं किया जा सकता।