मिनी क्यूबा भिवानी की अंतर राष्ट्रीय महिला मुक्केबाज नीतू घनघस अर्जुन अवार्डी मुक्केबाज बनकर गांव पहुंची तो परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं था। ओलंपिक की तैयारी में जुटी नीतू की मां मुकेश देवी का कहना है कि सारी उम्र गोबर उठाने व घास लाने में बीत गई थी। अब बेटी ने राष्ट्रपति भवन दिखा दिया।
गांव धनाना की महिला मुक्केबाज नीतू घनघस को शुक्रवार को राष्ट्रपति के हाथों अर्जुन अवॉर्ड मिला है। ये अवार्ड नीतू ने अपने गांव में अपने घर पहुंचते ही अपनी मां को गोदी में सौंपा दिया। नीतू मां भी ऐसी भावुक हुईं कि बोली, ऐसी बेटी भगवान सभी को दे, जिसने गोबर उठाने वाली मां को राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया। नीतू की मां एक साधारण गृहणी महिला है। शुक्रवार को नीतू की मां भी राष्ट्रपति भवन में बेटी को अवार्ड मिलने की साक्षी बनी थी।
नीतू को ये अवार्ड 2022 में वर्ल्ड चैंपियनशिप व कॉमनवेल्थ गेम में विजेता रहने पर मिला है। नीतू घनघस का कहना है कि उसने 2012 में बॉक्सिंग शुरू की थी। तब न किसी मेडल का और न अवार्ड की जानकारी थी। दस साल बाद 2022 में जब वर्ल्ड चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ गेम में मेडल मिला तो अर्जुन अवॉर्ड की हकदार बनी। नीतू का कहना है कि ये अवार्ड उसे अब आगे होने वाले ओलंपिक, कॉमनवेल्थ व वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी के लिए मोटिवेट करेगा। नीतू का कहना है कि मुझे मिला अर्जुन अवॉर्ड मेरी साथी बॉक्सरों व जूनियर को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।
बेटी और कोच की काबिलियत पर है पूरा भरोसा: जयभगवान
नीतू के पिता जयभगवान का कहना है कि पूरे गांव को खुशी हुई है। ये नीतू व उनके कोच जगदीश की मेहनत का फल है। पिता का कहना है कि उन्हें पूरा भरोसा है कि नीतू ओलंपिक मेडल लाकर देश का नाम रोशन करेंगी।
घर से खेत तक सीमित थी मुकेश देवी, बेटी ने राष्ट्रपति भवन दिखा दिया
वहीं घर से खेत व खेत से घर तक सीमित रहने वाली नीतू की मां मुकेश देवी भी बेटी को मिले अवार्ड से खुश हैं और भावुक भी। उनका कहना है कि मां तो भैंसों के लिए खेतों से घास लाने व गोबर उठाने तक सीमित थी। बेटी ने दिल्ली और दिल्ली में राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया। मां मुकेश का कहना है कि बेटियां बेटों से भी अच्छी होती है। ऐसी बेटी भगवान सभी को दे।