सात साल पहले भिवानी के बामला गांव की रहने वाली ज्योति ग्रेवाल को पिता ने बॉक्सिंग की ट्रेनिंग देनी शुरू की। इस पर पड़ासियों ने ताने मारने शुरू कर दिए। पिता ने खूब ताने सहने के बावजूद बेटी को बॉक्सर बनाने का संघर्ष जारी रखा और किसी की नहीं सुनी। खास बात है कि अब शादी के बाद ज्योति को पति भी बॉक्सिंग कोच मिल गए। अब पति नवीन उर्फ फ्रूटी बलहारा खुद ज्योति को ट्रेनिंग दे रहे हैं। ज्योति हिसार में चल रही राष्ट्रीय महिला बॉक्सिंग प्रतियोगिता के 66 किलो भार वर्ग में हिस्सा लेने के लिए पहुंची हैं।
पति साथ में प्रैक्टिस करवा रहे हैं
साथ में उनके पति व कोच नवीन भी आए हुए हैं और यहां पर भी अभ्यास करवा रहे हैं। ज्योति दिल्ली रेलवे में तीन साल से सीनियर क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं। वहीं, पति अजीत बॉक्सिंग क्लब में उनको अभ्यास करवाते हैं। बॉक्सर ज्योति बताती हैं कि जब पिता शेर सिंह ने उन्हें गांव में ट्रेनिंग देनी शुरू की, तो पड़ोसियों व कुछ सदस्यों ने ताने मारने शुरू कर दिए। वे कहने लगे कि बॉक्सिंग में क्या रखा है। इससे अच्छा बेटी की शादी कर दो।
परिवार ने दिया सहयोग, रिंग में उतर गईं ज्योति
मगर ज्योति को जब परिवार का सहयोग मिला, तो उनका हौसला और भी बढ़ गया और रिंग में उतर गईं। आज ज्योति राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीत रही हैं। ज्योति के पिता शेर सिंह फौज से हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हैं। पहले वे खुद भी कुश्ती खेलते थे। मगर धीरे-धीरे बेटी को गांव में ही बॉक्सिंग की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी। जब बेटी रिंग में उतरकर पंच का दम दिखाने लगी, तो परिवार के सदस्यों ने ज्योति को खेल में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।