यह ओलिंपिक तुम्हारा है, ऐसे खेलना कि दुनिया याद रखे कोई बॉक्सर आई थी, जो इतिहास रच गई। खुद पर ओलिंपिक का कोई दबाव नहीं रखना और न ही अपनी ओपन गार्ड की रणनीति में बदलाव करना है। खुलकर खेलोगी तो विपक्षी को दबाव में रख सकोगी। मंगलवार को जब बतौर निजी कोच संजय श्योराण अपनी शिष्य पूजा बोहरा से बात कर रहे थे, तब पूजा रिलेक्स थीं, बोलीं- सर मैं घबराई हुई नहीं हूं, आप भी टेंशन न लें, मैं आपकी बेटी हूं, निराश नहीं करूंगी।
देश के लिए लगातार दो बार एशियन मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली देश की इकलौती मुक्केबाज पूजा का बुधवार को अल्जीरिया की मुक्केबाज इचार्क चैब के साथ मुकाबला है। पूजा ने बताया कि एमसी मैरीकॉम के बाद मंगलवार काे लवलीना की जीत से भारतीय मुक्केबाजी कैंप काफी उत्साहित है। मुक्केबाजों में जीत को लेकर विश्वास बढ़ा है। मुझमें भी यही आत्मविश्वास है कि मैं जीत सकती हूं। देश के लिए ओलिंपिक में 75 किलोग्राम ही वह वजन ग्रुप है, जिसमें देश को इकलौता मेडल मिला है।
ओलिंपिक मुकाबलों की 132वीं चुनौती के रूप में इचार्क चैब के साथ चुनौती बेशक रिंग में कितनी भी ज्यादा क्यों न हो, लेकिन रिकाॅर्ड में पूजा के सामने इचार्क कहीं नहीं ठहरतीं। एक ओर जहां वह पूजा से उम्र में 10 साल छोटी है। वहीं पूजा के पास एशियन चैंपियनशिप से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल हैं। इचार्क को यूथ ओलिंपिक एवं यूथ चैंपियनशिप का ही अनुभव है।
यूथ ओलिंपिक में उनकी रैकिंग चार रही है। विशेषज्ञ की नजर में काफी हद तक स्लो मुक्केबाजी वाली शैली रही है। डिफेंस मजबूत है। गार्ड ऊपर ही रखती हैं। विपक्षी मुक्केबाज को गलती करने पर मजबूर करती हैं और फिर दूसरे एवं तीसरे राउंड में अंक बटोरती हैं।
यह करना चाहिए पूजा को
पूजा की शैली अटैकिंग है, इसलिए अपनी परंपरागत शैली के तहत ओपन गार्ड में ही खेलें। काउंटर अटैक करें। अनुभव का फायदा उठाएं, लेकिन जल्दबाजी न करें। उनकी हाइट के साथ उसके हुक और अपर कट वरदान साबित हो सकते हैं।