करनाल में पश्चिमी यमुना नहर में रेलवे ओवरब्रिज के समीप 27 अगस्त को नहर की स्लैब में करीब 100 फीट लंबा कटाव हो गया था, जिससे विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। तुरंत ही कटाव को भरने का कार्य शुरू किया गया, लेकिन 28 अगस्त को नहर के दूसरी तरफ भी स्लैब में कटाव हो गया। अधिकारियों ने स्थिति संभालने के लिए मिट्टी भरकर कट्टे लगाए, लेकिन तेज पानी के बहाव के कारण वे बह गए।
नहर में पानी का बहाव पहले 12 हजार क्यूसेक था, जिसे घटाकर अब 3 हजार क्यूसेक किया गया है। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए मुख्यालय के अधिकारी भी सतर्क हो गए हैं। इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द निकालने के लिए निदेशालय से प्रिंसिपल निदेशक बीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक टीम करनाल पहुंची, जिसमें सिंचाई विभाग के एचओडी स्पेशल, चीफ इंजीनियर यमुना वाटर सर्विस एमएल राणा शामिल रहे।
टीम ने मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया और विभाग के अधिकारियों से अब तक किए गए प्रयासों की जानकारी ली। इस दौरान एसई आजाद सिंह, एक्सईएन रणवीर सिंह, मनोज कुमार सहित एसडीओ व जेई भी मौजूद रहे।
कटाव को रोकने के लिए अब जगाधरी से पत्थर मंगवाया गया है। पहले पानीपत से काला पत्थर मंगवाया गया था, लेकिन अब जगाधरी के पत्थरों से नहर के अंदर के हिस्से को मजबूत किया जा रहा है। नहर का तट टूटे हुए चार दिन हो चुके हैं, लेकिन कटाव को पूरी तरह से बंद करने में अभी तक सफलता नहीं मिली है, जिससे स्थिति गंभीर बनी हुई है।
एक्सईएन रणवीर सिंह ने बताया कि नहर के समीप रेलवे ओवरब्रिज होने के कारण नहर अंदर से कमजोर हो गई थी और लगातार पानी के बहाव के कारण स्लैब नीचे धंस गई। फिलहाल स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कार्य जारी है और अधिकारियों का कहना है कि कल सुबह तक दोनों तरफ के स्लैब को पूरी तरह से भर दिया जाएगा।