हरियाणा विधानसभा जमीन विवाद: चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने किया स्पष्ट

पिछले कुछ दिनों से चंडीगढ़ में हरियाणा की नई विधानसभा की जमीन का मुद्दा गर्माया हुआ है। पंजाब जमीन देने का विरोध कर रहा है तो चंडीगढ़ में भी इसके खिलाफ आवाज उठ रही है। अब पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया ने स्पष्ट किया है कि अभी कोई जमीन आवंटित नहीं की गई है। हरियाणा सरकार का लंबे समय से प्रस्ताव आया हुआ है, उस पर विचार चल रहा है।

प्रशासक का यह बयान सही है कि हरियाणा को विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में अभी जमीन आवंटित नहीं की गई है। यूटी प्रशासन ने जून 2022 में हरियाणा की नई विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में 10 एकड़ जमीन देने पर सहमति जताई थी लेकिन आज तक आवंटित नहीं की है। कारण है कि यूटी ने जमीन के बदले जमीन की शर्त रखी थी। इसके लिए पंचकूला में 12 एकड़ जमीन की मांग की गई थी लेकिन पेंच फंस गया क्योंकि हरियाणा में तब तक सुखना वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के ईको सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) के एरिया की अधिसूचना नहीं हुई थी। 

चंडीगढ़ ने शर्त रखी कि जब तक केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय हरियाणा में ईएसजेड के लिए भूमि के सीमांकन पर अधिसूचना जारी नहीं करता, तब तक न तो यूटी हरियाणा को विधानसभा के लिए जमीन देगा और न ही पंचकूला की जमीन लेगा। इस बीच रविवार को चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से इस मुद्दे पर जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हरियाणा को विधानसभा के लिए अभी कोई जगह अलॉट नहीं की गई है। हरियाणा सरकार का लंबे समय से इसे लेकर प्रस्ताव आया हुआ है, जिस पर विचार चल रहा है। जब तक निर्णय नहीं लिया जाएगा, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता।

अब जमीन आदान-प्रदान की प्रक्रिया होगी तेज
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव मंत्रालय ने 11 नवंबर को पंचकूला में हरियाणा की तरफ सुखना वाइल्डलाइफ सेंचुरी के चारों ओर एक किमी से 2.035 किमी तक के क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) के रूप में अधिसूचित कर दिया है। इसके अनुसार इस एरिया में कोई भी निर्माण कार्य नहीं हो सकेगा।

कई तरह की पाबंदियां भी लगाई जाएंगी। यूटी ने यही शर्त रखी थी कि हरियाणा पहले ईएसजेड का एरिया अधिसूचित कराए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि जो जमीन चंडीगढ़ को मिलेगी वो ईएसजेड से बाहर हो अन्यथा 12 एकड़ की जमीन लेने के बाद भी कोई लाभ नहीं हो पाएगा, क्योंकि अगर वह ईएसजेड के अंदर होगी को चंडीगढ़ उस पर कोई निर्माण नहीं करा पाएगा। अब जब ईको सेंसिटिव जोन का एरिया स्पष्ट हो गया है तो चंडीगढ़ और हरियाणा में जमीन के आदान-प्रदान की जमीन में तेजी आएगी।

इसलिए दो साल से अटका हुआ था मामला
यूटी ने रेलवे लाइट पॉइंट के पास आईटी पार्क रोड पर लगती 10 एकड़ की जमीन हरियाणा को देने के लिए चिह्नित की है। यहां यूटी की कुल 55 एकड़ जमीन है। हरियाणा ने 10 एकड़ जमीन के बदले में पंचकूला के एमडीसी के सेक्टर-2 के नजदीक 12 एकड़ जमीन चंडीगढ़ को देने का ऑफर दिया है।

इसे लेकर दोनों आपस में सहमत भी हैं। मामला ईको सेंसिटिव जोन की नोटिफिकेशन होने के इंतजार में अटका हुआ था। पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव मंत्रालय ने ईको सेंसिटिव जोन को लेकर मार्च में मसौदा जार कर लोगों से सुझाव व आपत्तियां मांगी थीं। हरियाणा सरकार ने सेंचुरी के चारों ओर एक हजार मीटर के क्षेत्र को ईएसजेड के रूप में चिह्नित करने का प्रस्ताव भेजा था लेकिन मंत्रालय ने 1 किमी से 2.035 किमी तक के क्षेत्र को ईएसजेड के रूप में अधिसूचित किया है।

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