मेरठ से खरखाैदा, झज्जर होते हुए लोहारुव राजस्थान बॉर्डर तक निर्माणाधीन नेशनल हाईवे 334बी के कार्य की गुणवत्ता पर सवाल है। हाल ही में खरखौदा क्षेत्र में बने दिल्ली बाईपास फ्लाईओवर पर 50 मीटर तक लंबी दरारें आ गई हैं। जानकारी मिलने पर निर्माण कंपनी ने उसे चूना डालकर छिपानी की कोशिश की है।
दिल्ली बाईपास फ्लाईओवर अभी तक जनता के सुपुर्द भी नहीं हुआ है। इस हाईवे का निर्माण दो साल पहले शुरू हुआ था और अगले साल पूरा होना है लेकिन अभी तक 25 फीसदी कार्य ही हुआ है। इस फ्लाई ओवर का निर्माण कुछ समय पहले ही हुआ है। लेकिन पहली बारिश भी नहीं सह सका।
फ्लाईओवर की दोनों तरफ की दीवारों और ऊपर सड़क पर दरारें साफ दिखाई दे रही हंै। कांट्रेक्ट कंपनी को जैसे ही इन दरारों के बारे में पता चला तो उन दरारों में चूना डलवा मामला को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
25 प्रतिशत बाकी है हाईवे निर्माण, अप्रैल 2022 तक होना है पूरा
एनएच 334b का निर्माण कार्य 2 साल पहले शुरू हुआ था। इस पर 1020 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। अप्रैल 2022 तक इसका निर्माण कार्य पूरा होना है। अभी 75 प्रतिशत कार्य ही हुआ है और 25 प्रतिशत काम बाकी है। अभी तक यह मार्ग टू लेन था। सड़क को 4 लेन का बनाया जाएगा। चौड़ाई 20 से बढ़ाकर 60 मी की जाएगी।
यह कार्य यूपी बाॅर्डर के पुल से जिले की सीमा रोहणा गांव तक कार्य चल रहा है। इसमें तीन बाईपास और सड़कों को चौड़ा करने का प्रस्ताव है। शहर की सीमा में बाईपास से रास्ता देने का प्रस्ताव है तो ग्रामीण इलाके में जहां पर जगह हैं, वहां पर 4 लेनिंग की जाएगी। इससे सोनीपत से रोहतक की ओर जाने वाले 20 हजार से अधिक वाहन चालकों को लाभ मिलेगा।
सुविधा: 50 गांवों को होना है फायदा
उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर से राजस्थान तक का सफर फर्राटेदार बनाने के लिए नेशनल हाईवे 334 बी को चौड़ा किया जा रहा है। यूपी के मेरठ, बागपत से होकर आने वाली सड़क सोनीपत के बहालगढ़-खरखौदा-रोहतक के हसनगढ़-सांपला व झज्जर, चरखी दादरी होते हुए भिवानी के लोहारू में राजस्थान बॉर्डर तक जाती है। जिससे करीब 50 गांव इस नेशनल हाईवे से जुड़ जाएंगे।
11 हजार वृक्षों को काटा गया
इस मार्ग को बनाने के लिए अकेले सोनीपत जिले के 11 हजार से अधिक वृक्ष काटे गए हैं। कुंए, आबादी, पैट्रोल पंप व कंपनियों की दीवारों को छोड़ा गया है। लोगों की शिकायत यह भी है कि यह मार्ग टेढ़ा मेढ़ा ही बना है। सोनीपत जिले के 23 गांवों की 6797 कनाल जमीन के अधिग्रहण की गई। कुछ जमीन का अधिग्रहण और करके सड़क को सीधा भी किया जा सकता था।
मिट्टी जमाकर होता है निर्माण
पीडब्ल्यूडी इंजीनियर जेपी गुलिया ने कहा कि मिट्टी वाले फ्लाईओवर के निर्माण के भी कुछ नियम तय हैं ताकि गुणवत्ता लंबे समय तक बरकरार रहे। निर्माण के दौरान 9 इंच मिट्टी की लेयर बनाकर उसे रोड रोलर से मजबूत किया जाता है। इसके बाद फिर मिट्टी डालकर दूसरी लेयर बनाई जाती है।
इसके साथ साथ ही साइड की आई दीवार का निर्माण चलता है। इससे मिट्टी और दीवार के बीच गैप नहीं रहता और मिट्टी की भर्ती भी अच्छी होती है। अकसर ठेकेदार जल्दबाजी में मिट्टी भरने के लिए छोटे ठेकेदारों को काम दे देते हैं। जहां फ्लाईओवर सड़क दरार की बात सामने आई है, वहां इस तरह के नियम का पालन हुआ या नहीं यह देखने की बात है।
दरारों की करवाएंगे जांच, दुरुस्त करवाया जाएगा
फ्लाईओवर पर जो दरारें आई हैं, वो बरसात के बाद आई हैं। इनकी जांच करा कर उन्हें दुरुस्त करा दिया जाएगा। कई बार मिट्टी अधिक होने के कारण इस तरह की दरारें आ जाती हैं। उन्हें ठीक कराया जाएगा। यह नुकसानदायक नहीं है।