रिजल्ट: अनिल विज और गोपाल कांडा पिछड़े, हिसार से सावित्री जिंदल काफी आगे

हरियाणा में 90 सीटों पर मतगणना शुरू हो गई है। पहले जहां रुझानों में कांग्रेस काफी आगे थी, वहीं कुछ देर बाद उलटफेर हुआ और भाजपा ने बढ़त बना ली। 

भाजपा के सीएम उम्मीदवार नायब सैनी लाडवा से आगे चल रहे हैं। गढ़ी सांपला किलोई से भूपेंद्र सिंह हुड्डा आगे है। अनिल विज अंबाला कैंट से कड़े मुकाबले में फंसे हैं। रोहतक से बीजेपी प्रत्याशी मनीष ग्रोवर आगे चल रहे हैं। हिसार से निर्दलीय सावित्री जिंदल काफी आगे है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव के सियासी समर में चर्चित चेहरों और बागियों के उतरने से मुकाबला रोचक बना हुआ है। भाजपा, कांग्रेस, इनेलो-बसपा, जजपा-आसपा और आप प्रत्याशियों ने 49 दिन के प्रचार में अपने वादों और घोषणाओं से मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश की। इस बार चुनाव में कुछ प्रत्याशी परिवार की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए मैदान में उतरे। जानें प्रदेश की ऐसी 12 खास सीटें का हाल, जिन पर सभी की नजरें टिकी हैं।

हिसार: निर्दलीय लड़ रहीं सावित्री जिंदल आगे 
बांगड़ की सबसे हॉट सीट हिसार में भाजपा के मंत्री डॉ. कमल गुप्ता पांचवीं बार मैदान में है। डॉ. गुप्ता स्वास्थ्य व शहरी विकास मंत्री रहे हैं। उनके लिए सीएम नायब सिंह सैनी, पूर्व सीएम मनोहर लाल और स्टार प्रचारक स्मृति ईरानी पहुंचीं। पीएम मोदी भी हिसार में रैली करके गए। दिग्गजों के प्रचार के बावजूद उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी भाजपा से बगावत कर निर्दलीय लड़ने वाली सावित्री जिंदल ने बढ़ाई है। वहीं कांग्रेस से रामनिवास राड़ा चुनाव मैदान में हैं। 

डबवाली: ताऊ देवीलाल के कुनबे के तीन सदस्यों में टक्कर
राजस्थान और पंजाब से सटे डबवाली में पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के कुनबे के तीन सदस्यों में टक्कर है। कांग्रेस से अमित सिहाग, इनेलो से आदित्य देवीलाल और जजपा से दिग्विजय चौटाला एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। 

तोशाम : भाई-बहन…किस पर पड़ेगी परमार की मार
पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल के गढ़ तोशाम में उनके ही पोते व पोती कांग्रेस प्रत्याशी अनिरुद्ध चौधरी और भाजपा प्रत्याशी श्रुति चौधरी पर एक दूसरे के खिलाफ डटे हैं। 26 साल बाद दोनों परिवार एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरे हैं। तोशाम में दोनों ही खुद को बंसीलाल का वारिस साबित करने की जंग भी लड़ रहे हैं। इन दोनों की इस लड़ाई को रोचक बनाया है भाजपा के बागी शशिरंजन परमार ने। निर्दलीय उतरे परमार ही दोनों की हार-जीत तय करेंगे। 

सिरसा : गोपाल कांडा कड़े मुकाबले में फंसे
सिरसा शहर व गांव की गलियों में बस दो ही नाम हैं। एक गोपाल व दूसरा गोकुल। हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के प्रत्याशी गोपाल कांडा को भाजपा व इनेलो ने समर्थन दे रखा तो वहीं, कांग्रेस के गोकुल सेतिया बिना किसी के सहारे अकेले ही डटे रहे। प्रचार का मैदान हो या सोशल मीडिया, दोनों हर मंच पर एक-दूसरे के खिलाफ डटकर खड़े हुए। नशे के मुद्दे व शहर के विकास पर दोनों ने अपने काम बताए। अभी गोपाल कांडा आगे हैं लेकिन मुकाबला कड़ा है।

रानियां : चर्चा दादा-पोते की लड़ाई कांबोजों में
रानियां के रण में शुरुआती दौर में मैदान में निर्दलीय उतरे दादा चौधरी रणजीत सिंह और उनके पोते इनेलो प्रत्याशी अर्जुन चौटाला में सीधी टक्कर नजर आ रही थी, लेकिन उसके बाद  मुकाबला बहुकोणीय हो गया। कांग्रेस के सर्वमित्र कांबोज भी मुख्य मुकाबले में आ गए। भाजपा प्रत्याशी शीशपाल कांबोज को भी लोग कमजोर नहीं मान रहे हैं। इनके अलावा आप प्रत्याशी हरपिन्द्र कांबोज भी असर डाल रहे हैं। 

जुलाना 
मुकाबला जाट बनाम ब्राह्मण पर आकर टिक गया है। 2005 के बाद से जीत न सकी कांग्रेस ने इस बार ओलंपियन विनेश फोगाट को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस को विनेश के जाट चेहरे और सेलिब्रिटी स्टेटस का सहारा है। दूसरी तरफ भाजपा ने योगेश बैरागी को मैदान में उतारकर ओबीसी वोटों को साधने का प्रयास किया है। कांग्रेस के बागी डॉ. सुरेंद्र लाठर इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।  

उचाना कलां  
जाट बहुल सीट से कांग्रेस से पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह, जजपा से पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और भाजपा से देवेंद्र अत्री मैदान में हैं। कांग्रेस के बागी वीरेंद्र घोघड़ियां भी रेस से बाहर नहीं हैं। अत्री ब्राह्मण चेहरा हैं, बाकी प्रत्याशी जाट। अगर जाट मतदाताओं के वोट बंटे तो भाजपा को फायदा हो सकता है। 

Haryana Elections Result 2024 VIP Seat update Nayab Singh Saini Savitri Jindal Vinesh Phogat

नूंह  
एक साल पहले हिंसा के कारण पूरे देश में चर्चा में आए नूंह में इस बार दो बड़े राजनीतिक घरानों में वर्चस्व कायम करने की चिंगारी सुलग रही है। मुख्य मुकाबला यहां कांग्रेस व इनेलो के प्रत्याशियों में ही है। इनेलो से यासीन खानदान की चौथी पीढ़ी के ताहिर हुसैन अपनी राजनीतिक पारी शुरू करना चाहते हैं। उनके सामने कांग्रेस से वरिष्ठ नेता स्व. खुर्शीद अहमद के पुत्र और दो बार के विधायक व मंत्री रह चुके सीएलपी उपनेता आफताब अहमद हैं। 

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लाडवा 
प्रदेश की सबसे चर्चित व हॉट सीट लाडवा में हार-जीत जाट व ओबीसी वोट बैंक पर टिकी है। 60 फीसदी ओबीसी हैं, जिनमें से 20 फीसदी से अधिक सैनी हैं, जबकि 18 फीसदी से अधिक व 11 फीसदी ब्राह्मण हैं, जिनका भी अपना प्रभाव है। भाजपा प्रत्याशी के रूप में यहां से मुख्यमंत्री नायब सैनी मैदान में हैं, जो पार्टी के ओबीसी वर्ग के बड़े चेहरे हैं। जाट समुदाय के कांग्रेस प्रत्याशी एवं निवर्तमान विधायक मेवा सिंह नायब सैनी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं। नायब सैनी आगे चल रहे हैं।

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जगाधरी 
भाजपा-कांग्रेस में कड़ा मुकाबला है, मगर यहां इनेलो-बसपा गठबंधन और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी भी मुकाबले को रोचक बना रहे हैं। भाजपा से शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर के सामने कांग्रेस प्रत्याशी एवं बसपा से पूर्व विधायक रहे अकरम खान मैदान में हैं। तीन बार यहां बसपा का विधायक बन चुका है, इसलिए यहां बसपा मुकाबले को त्रिकोणीय भी बना रही है। इनेलो के साथ गठबंधन के चलते बसपा को सोशल इंजीनियरिंग का फायदा मिल सकता है।

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अंबाला छावनी 
अंबाला छावनी से भाजपा प्रत्याशी अनिल विज और कांग्रेस प्रत्याशी परविंदर सिंह परी की राह में निर्दलीय प्रत्याशी चित्रा सरवारा रोड़ा बनी हुई हैं। चित्रा ने मुकाबले को त्रिकोना बना दिया है। चित्रा कांग्रेस से टिकट न मिलने पर बागी होकर मैदान में हैं। उनके पिता पूर्व मंत्री निर्मल सिंह अंबाला सिटी सीट से बतौर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। हुड्डा खेमे से सीट छीनकर सांसद कुमारी सैलजा ने यहां से परविंदर सिंह परी को टिकट दिलवाया है। इसी के चलते चित्रा मैदान में हैं। इसका फायदा विज को मिल सकता है। विज आगे हैं। हालांकि मुकाबला कड़ा है।

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बादशाहपुर  
हरियाणा के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र बादशाहपुर में बादशाहत की लड़ाई इस बार अनुभव बनाम उम्र की है। अनुभव भाजपा के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री राव नरबीर का और उम्र कांग्रेस के सबसे युवा नेता व पहली बार चुनाव लड़ रहे वर्धन यादव की। नरबीर पहली बार साल 2014 में इस सीट पर जीते थे और मनोहर सरकार में मंत्री बने थे। अब दोबारा से भाजपा ने उन्हें मैदान में उतरा है। निर्दलीय कुमुदनी दोनों के ही समीकरण बिगाड़ रही हैं। उनके पति राकेश की चुनाव से पहले मौत हो गई थी, इस कारण लोगों में उनसे सहानुभूति है।

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