जम्मू संभाग के पुंछ में कथित तौर पर कस्टोडियल डेथ में मारे गए तीन नागिरकों के परिजन अपने बच्चों को शिक्षा के लिए आर्मी स्कूल भेजना चाहते हैं। अपने सबसे बड़े बेटे शब्बीर अहमद (30) की मौत के करीब एक महीने बाद वली मोहम्मद ने अपने पोते को आर्मी स्कूल में भेजने की तैयारी में है।
शब्बीर अहमद को 21 दिसंबर को पुंछ में सेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इस आतंकी हमले में चार सैनिक मारे गए थे। शब्बीर और सफीर अहमद (45) और मोहम्मद शौकत (22) संदिग्ध परिस्थिति में मृत पाए गए थे
एक छात्रा को दिल्ली में आईएएस कोचिंग के लिए भेजा
घटना के बाद से सेना और नागरिक प्रशासन स्थानीय समुदाय के साथ विश्वास को मजबूत करने की कोशिश में तेजी से आगे बढ़े हैं। सेना ने टोपा पीर गांव को गोद लिया है। इससे पहले रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख द्वारा मृतकों और घायलों के परिवारों के साथ बैठकें की गई हैं। साथ ही त्वरित मुआवजा दिया गया। सेना ने टोपा पीर की एक छात्रा को दिल्ली की एक अकादमी में आईएएस कोचिंग के लिए प्रायोजित किया है।
वली ने कहा, ‘एक बड़े बेटे को खोने का दर्द, जो एकमात्र कमाने वाला था, दिल को कचोटता रहता है, लेकिन हम यह भी समझते हैं कि सेना यहां हमारी सुरक्षा और कल्याण के लिए है। जो हो गया वो तो वापस नहीं किया जा सकता, लेकिन कम से कम शब्बीर के बेटे को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए।’
पैसे, परिजनों को नौकरी और कुछ जमीन के अलावा सेना ने पीड़ितों के बच्चों की शिक्षा का ख्याल रखने का भी वादा किया था। संपर्क करने पर सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन परिवारों को हर संभव मदद प्रदान की जाएगी जो अपने बच्चों को सेना के स्कूलों में दाखिला दिलाना चाहते हैं।
वहीं, सफीर का भाई बीएसएफ हेड कांस्टेबल नूर अहमद भी चाहता है कि सफीर के दो बच्चों को राजोरी में सेना के गुडविल स्कूल में दाखिला दिलाया जाए। उन्होंने कहा, ‘मैंने आर्मी कमांडर से स्कूल बस सुविधा को थानामंडी तक बढ़ाने का अनुरोध किया है ताकि ये बच्चे हर दिन बस स्कूल से जा सकें।’ नूर ने कहा कि एक वरिष्ठ सेना अधिकारी ने पिछले सप्ताह प्रवेश पाने वालों बच्चों का विवरण मांगा था।
30 घरों वाला एक गांव टोपा पीर अब विकसित हो रहा
टोपा पीर, केवल 30 घरों वाला एक गांव है, जिसे निकटतम देहरा की गली-बुफलियाज रोड से एक किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। यह मार्ग मुगल रोड का हिस्सा है जो एक तरफ कश्मीर में शोपियां जिले और दूसरी तरफ पुंछ जिले के सुरनकोट को जोड़ता है। इस मार्ग की हालत भी खस्ता रही है, जो आतंकी हमले का एक कारण रही है।
इलाके में तीन मौतों के बाद सेना टोपा पीर के निवासियों का विश्वास मजबूत करने की कोशिश कर रही है। थन्नामंडी-डीकेजी-बफलियाज क्षेत्र से 48 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट को वापस ले लिया गया है। उसके स्थान पर 61 आरआर को तैनात किया गया है। नव तैनात सैनिकों ने टोपा पीर को एक ‘आदर्श गांव’ के रूप में अपनाया है और निवासियों से मुलाकात कर उन्हें किसी भी मदद की आवश्यकता का आश्वासन दिया।
सौर स्ट्रीट लाइटें लगीं, स्वास्थ्य केंद्र भी किया उन्नत
‘मॉडल गांव’ में परिवर्तन में दो दर्जन से अधिक सौर स्ट्रीट लाइटें स्थापित की गई है और घरों में जल भंडारण टैंक प्रदान किए गए हैं। सैनिकों ने गांव को डीकेजी-थानामंडी सड़क से जोड़ने वाली लगभग दो किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण के लिए एक सर्वेक्षण भी किया, इसके अलावा सरकारी प्राथमिक विद्यालय में डेस्क, किताबें और स्टेशनरी प्रदान की गई है। उन्होंने मौजूदा स्वास्थ्य केंद्र को भी उन्नत किया और निवासियों से जरूरत पड़ने पर सेना के डॉक्टर के पास जाने का आग्रह किया। इसके अलावा, सेना यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि प्रत्येक घर को पाइप से पानी का कनेक्शन मिले।
ग्रामीणों ने सेना संग मनाया गणतंत्र दिवस
24 जनवरी को सेना और टोपा पीर के निवासियों ने मिलकर 75वां गणतंत्र दिवस मनाया। कार्यक्रम में तिरंगा फहराया गया और गांव के बुजुर्गों का अभिनंदन किया गया और उन्हें शॉल और कंबल भेंट किए गए। सेना पीआरओ ने कहा कि कार्यक्रम का समापन एक चिकित्सा शिविर के साथ हुआ।